आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। नोटबंदी के बाद एक बार फिर कैश की कमी से जूझ रहे यूपी समेत देश के अन्य राज्यों के हालात को लेकर आज यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मोदी सरकार और उसकी नीतियों को कटघरे में खड़ा किया है। वहीं अखिलेश ने कानून-व्यवस्था व नौजवानों की नौकरी के मसले को लेकर योगी सरकार पर भी बुधवार को जमकर हमला बोला है। साथ ही समस्याओं से जूझ रहें प्रदेश के शिक्षामित्रों को लेकर पूर्व सीएम ने एक बड़ी बात कही है।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने सपा मुख्यालय पर पत्रकारों से कहा कि एटीएम में नोट न होना किसी बड़ी साजिश का संकेत है। मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए पूर्व सीएम बोले कि केंद्र के इशारे पर कहीं नोटों की जमाखोरी तो नहीं हो रही है? यदि कैश नहीं होगा तो व्यापार तो ठप्प होगें ही साथ में दूसरी विकट समस्या खड़ी हो जाएगी।
सपा सुप्रीमो ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर नोटों की जमाखोरी हो रही है तो सरकार क्या कर रही है? कैशलेश अर्थव्यवस्था की वकालत करने वाली मोदी सरकार को बताना चाहिए कि नोट छपवाने का कागज विदेश से मंगाया जाता है और पर्याप्त संख्या में नोट भी छपवाया गया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि नोट कहां गायब हो गए?
अखिलेश ने अंदेशा जताते हुए आगे कहा कि यह एक अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र हो सकता है। जबकि नोटबंदी से किसानों, गरीबों व आम जनता का पहले ही बहुत नुकसान हो चुका है। समाज का हर वर्ग इस फैसले से परेशान है। इसके बाद भी भाजपा इसे अपनी उपलब्धि बताती है। भाजपा के शासनकाल की जनविरोधी नीतियों से जनता में भारी रोष और असंतोष है।
योगी सरकार की नीतियों पर हमला बोलते हुए अखिलेश यादव ने पत्रकारों से कहा कि यूपी की कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है। लूट-हत्या-बलात्कार की घटनाओं से जनता बुरी तरह डरी हुई है। छोटी-छोटी बच्चियों से बलात्कार थम नहीं रहे हैं। भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर की ओर इशारा करते हुए अखिलेश ने कहा कि जबकि सत्ताधारी दल के नेता और विधायकों को कानून की परवाह नहीं है। यही वजह है कि भाजपा के नेताओं की अपराधों में संलिप्तता से अराजकता व्याप्त हो गयी है। कानून-व्यवस्था को लेकर बात करने वाले राज्यपाल का जिक्र करते हुए सपा अध्यक्ष ने कहा कि यूपी के राज्यपाल जी को देखना चाहिए कि योगी सरकार संविधान के अनुसार चल भी रही या नहीं।
500 सौ से ज्यादा शिक्षामित्र गंवा चुकें हैं जान
सपा मुखिया ने शिक्षामित्रों के प्रति योगी सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि सामायोजन रद्द होने के बाद से ही शिक्षामित्र काफी परेशान है। यहीं वजह है कि अब तक करीब पांच सौ से ज्यादा शिक्षामित्रा बेमौत अपनी जान गंवा चुके हैं। वहीं नौजवानों की बेरोजगारी की समस्या का समाधान करने की दिशा में मोदी और योगी सरकार का रवैया उदासीन है। किसान और बेरोजगार नौजवान भी आत्महत्या करने को मजबूर है।
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