सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कोरोना मरीजों से हो रहा जानवरों से बदतर सलूक, दिल्ली समेत पांच राज्यों को जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट

आरयू वेब टीम। सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 के उपचार और अस्पतालों में कोरोना संक्रमित शवों के साथ गलत व्यवहार को लेकर सुनवाई करते हुए कहा कि शवों के साथ अनुचित व्यवहार हो रहा है। कुछ शव कूड़े में मिल रहे हैं। लोगों के साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मीडिया ने इस तरह की रिपोर्ट दिखाई हैं।

कोर्ट ने मामले पर संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम आर शाह की पीठ को सौंपी है। कोर्ट ने इस मामले पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि दिल्ली और इसके अस्पतालों में बहुत अफसोसजनक स्थिति है। एमएचए निर्देशों का कोई पालन नहीं हो रहा है। अस्पताल शवों की उचित देखभाल नहीं की जा रही है। यहां तक कि कई मामलों में मरीजों के परिवारों को भी मौतों के बारे में सूचित नहीं किया जाता है। परिवार कुछ मामलों में अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाए हैं।

कोर्ट ने कहा कि मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में लॉबी और वेटिंग एरिया में शव पड़े थे। वार्ड के अंदर, ज्यादातर बेड खाली थे, जिनमें ऑक्सीजन, सलाइन ड्रिप की सुविधा नहीं थी। बड़ी संख्या में बेड खाली हैं, जबकि मरीज भटकते फिर रहे हैं। कोर्ट ने इस मामले के लिए केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है।

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कोर्ट ने दिल्ली के साथ-साथ महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात और पश्चिम बंगाल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है साथ ही दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल को भी नोटिस भी जारी किया है। कोर्ट ने मुख्य सचिवों को मरीजों के प्रबंधन प्रणाली का जायजा लेने और कर्मचारियों, रोगी आदि के बारे में उचित स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 17 जून को होगी।

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर टेस्टिंग को लेकर भी सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि चेन्नई और मुंबई के मुकाबले मामले बढ़े। कोर्ट ने पूछा कि टेस्टिंग एक दिन में 7000 से 5000 तक कम क्यों हो गई है? जबकि मुंबई और चेन्नई में यह टेस्टिंग 15 हजार से 17 हजार हो गई है। दिल्ली सरकार ने खुद संकेत दिया है कि कोविड रोगियों के परीक्षण की संख्या कम हो गई है, जो भी अनुरोध करता है उसके अनुरोध को तकनीकी आधार पर टेस्टिंग से इनकार नहीं किया जा सकता है। सरकार प्रक्रिया को सरल बनाने पर विचार करे ताकि अधिक से अधिक टेस्ट किए जा सकें। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के अलावा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात और पश्चिम बंगाल में गंभीर स्थिति है।

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