प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्‍ली में होगी कृत्रिम वर्षा, निर्माण कार्य और जेनसेट पर बैन

delhi pollution

आरयू नेशनल डेस्‍क।

जानलेवा हुई दिल्‍ली की हवा से जहर कम करने के लिए अब क्‍लाउड सीडिंग यानि की कृत्रिम बारिश की तैयारी चल रही है। वायु प्रादुषण को लेकर आज दिल्‍ली में हुई कैबिनेट की आपात बैठक में इस बात से गंभीरता से विचार किया गया है। दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविन्‍द केजरीवाल ने कहा है कि इस बारे में हम लोग केन्‍द्र सरकार से बात करेंगे। इसके साथ ही बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए दिल्‍ली में डीजल वाले जेनरेटर सेट बैन करने के साथ ही फिलहाल निर्माण कार्य पर भी रोक लगा दी गई है।

देश मे सूखा पड़ने पर कृत्रिम बरसात कराई जा चुकी है, लेकिन रेकार्ड प्रदूषण के चलते अब जनहित में इसे प्रदूषण के लिए भी कराने की पहल की जा रही है।

जाने कब, कहां और क्‍यों कराई गई कृत्रिम वर्षा

1983 में जबरदस्‍त सूखा पढ़ने पर सबसे पहले तमिलनाडु में कृत्रिम बारिश कराई गई थी। 2003 और 04 में कर्नाटक में पानी की कमी के चलते इसका सहारा लेना पड़ा। 2009 में महाराष्‍ट्र में भी ऐसी ही वर्षा कराई गई। आंध्र प्रदेश में अब तक सबसे ज्‍यादा बार कृत्रिम वर्षा कराई जा चुकी है। यहां के 12 जिलों ने अप्राकृतिक वर्षा का लाभ लिया है। महाराष्‍ट्र में सात साल पहले इसे कराया गया। कृत्रिम वर्षा को तीन तरीके से कराया जा सकता है।