आरयू वेब टीम। माइक्रोब्लॉगिंग साइट और केंद्र के बीच विवाद थमता नजर नहीं आ रहा। ट्विटर ने शनिवार को भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के निजी ट्विटर अकाउंट को अनवेरिफाइड कर ब्लू टिक बैज हटा दिया था। जिसका विरोध होने के बाद फिर से उसे रिस्टोर कर दिया है। ट्विटर ने ब्लू टिक हटाने के पीछे अकाउंट के इनएक्टिव होने की दलील दी है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शीर्ष अधिकारियों के निजी हैंडल को भी अनवेरिफाइड कर दिया। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, सह-सरकार्यवाह (ज्वाइंट जनरल सेक्रेटरी) अरुण कुमार, संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी सुरेश सोनी समेत अन्य नेताओं के निजी हैंडल से ब्लू टिक हटाया गया।
इस खबर को लेकर लोगों ने कंपनी के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है। ये खबर आते ही ट्विटर पर ‘वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया ट्रेंड होने लगा है। सोशल मीडिया पर काफी लोग ट्विटर के इस कदम का विरोध करना शुरूकर दिया।
भाजपा नेता सुरेश नाखुआ ने पूछा है, ‘ट्विटर ने उपराष्ट्रपति के अकाउंट से ब्लू टिक क्यों हटाया? यह भारत के संविधान पर हमला है।’ हालांकि कुछ लोगों का ये भी दावा है कि उनका अकाउंट एक्टिव नहीं था, जिस वजह से अनवेरिफाइड कर दिया गया है।
यह भी पढ़ें- दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा Google, कहा, सर्च इंजन पर लागू नहीं होते नए IT कानून
बता दें, ट्विटर अकाउंट के एक्टिव होने से ये मतलब है कि आप अकाउंट को पिछले छह महीनों से लगातार यूज कर रहे हैं तो मतलब पूरी तरह से एक्टिव हों। एक यूजर ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘भारत के उपराष्ट्रपति ने 23 जुलाई 2020 के बाद कुछ भी ट्वीट नहीं किया है, जिसका अर्थ है कि उनका खाता पिछले 10 महीनों से निष्क्रिय है। ट्विटर नीति के अनुसार ब्लू टिक स्वचालित रूप से निष्क्रिय खातों से हटा दिए जाते हैं। इसलिए उपराष्ट्रपति के अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिया गया है।’
ट्विटर की शर्तों के मुताबिक यदि कोई यूजर्स अपने हैंडल का नाम बदलता है या किसी का अकाउंट डेड और अधूरा हो जाता है। इसके अलावा यूजर शुरू में जिस नाम से अपना अकाउंट बनाया था, उस दौरान कंपनी की ओर सत्यापित किया जाता है, लेकिन काफी समय बाद तक वह चालू नहीं रहता तो उस स्थिति में कंपनी उसे अनवेरिफाइड कर देती है। ट्विटर द्वारा नेताओं के अकाउंट अनवेरिफाइड करने को लेकर लोग कंपनी के विरुद्ध खासे नाराज दिख रहे हैं।