वाराणसी में यूपीटीईटी
एसटीएफ के हत्थे, चढ़े सरगना समेत गैंग के दो सदस्य ।

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ/वाराणसी। यूपीटीईटी 2018 की परीक्षा के दौरान बिजनौर में पेपर बेचे जाने का मामला सामने आने के बाद रविवार की रात पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से भी ठीक वैसा ही मामला सामने आया है। यहां भी एसटीएफ ने आज मुखबिर की सूचना पर दो लोगों को गिरफ्तार करते हुए टीईटी 2018 के पेपर बरामद किए हैं। हालांकि बिजनौर की ही तरह एसटीएफ इन पेपरों को भी फर्जी बता रही है।

एसटीएफ के एसएसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि वाराणसी में भी एसटीएफ को सूचना मिली थी कि यूपीटीईटी 2018 के फर्जी पेपर तैयार करने के बाद परीक्षार्थियों से एक-एक लाख रुपए वसूलकर परीक्षा के पहले अभ्यर्थियों को बेचने वाले सक्रिय हैं। जिसपर वाराणसी एसटीएफ फील्‍ड यूनिट की टीम को फर्जी पेपर बेचने वालों की गिरफ्तारी के लिए लगाया गया था।

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आज एसटीएफ के इंस्‍पेक्‍टर विपिन राय और अमित श्रीवास्‍तव ने मुखबिर की सूचना पर कैंट इलाके में स्थित एक विद्यालय के पास से प्रश्‍न पत्र बेचने वाले जौनपुर जिले के खुटहन (सुइथ कला) निवासी लक्ष्‍मीकांत भारती और गाजीपुर जनपद के करण्‍डा थाना क्षेत्र स्थित बड़सरा गांव के भरत सिंह को अपनी टीम की सहायता से गिरफ्तार कर लिया।

ये सामान हुआ बरामद-

एसटीएफ की टीम ने पकड़े गए दोनों आरोपितों के पास से यूपीटीईटी 2018 का फर्जी प्रश्‍न पत्र, कूट रचित प्रश्‍न पत्र की उत्तर पुस्तिका, टीईटी के 12 प्रवेश पत्र व आठ मोबाइल फोन बरामद किए हैं।

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इंस्‍पेक्‍टर विपिन राय ने बताया कि पकड़ा गया लक्ष्‍मीकांत गैंग का सरगना और मास्‍टर माइंड है। लक्ष्‍मी ने वाराणसी के अलावा आसपास के जिले में भी परीक्षार्थियों को फर्जी प्रश्‍न पत्र एक-एक लाख रुपए में बेचें हैं।

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उन्‍होंने आगे कहा कि लक्ष्‍मीकांत की कुछ कक्ष निरीक्षकों से भी सेटिंग थी, जिनके मोबाइल पर ये प्रश्‍न पत्र का जवाब व्‍हाट्सएप्‍प के जरिए भेज देता था। जिसके बाद शिक्षक लक्ष्‍मीकांत के बताए परीक्षार्थी तक जवाब पहुंचा देते थे। जिसके एवज में लक्ष्‍मीकांत कक्ष निरीक्षकों को 50 हजार रुपए देता था।

बिजनौर में पकड़े गए राकेश से नहीं है लक्ष्‍मीकांत का संपर्क: SSP

एसएसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि बिजनौर में पकड़े गए राकेश सिंह का वाराणसी में गिरफ्तार हुए लक्ष्‍मीकांत और भरत सिंह से कोई संपर्क नहीं था। दोनों के काम करने का तरीका लगभग एक जैसा है, जिसे हम महज संजोग मान सकते हैं। ये मामला पूरी तरह से जालसाजी का है। एसटीएफ इसमें शामिल गैंग के बारे में गहनता से छानबीन करने के साथ ही गैंग से मिले शिक्षकों के अलावा उन परी‍क्षार्थियों का भी पता लगा रही है, जिन्‍होंने फर्जी प्रश्‍न पत्र लक्ष्‍मीकांत से खरीदे थे। अब तक की छानबीन में सामने आया है कि लक्ष्‍मीकांत ने पांच अभ्‍यर्थियों को प्रश्‍न पत्र बेवकूफ बनाकर बेचा था।

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