आरयू ब्यूरो, लखनऊ। कानपुर में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में फरार चल रहे पांच लाख रुपए के वांटेड विकास दुबे पर लखनऊ विकास प्राधिकरण ने भी अपना शिकंजा कस दिया है। तीन दिनों की अपनी जांच के बाद बुधवार को एक बार फिर कृष्णानगर कि इंद्रलोक कॉलोनी पहुंची एलडीए की टीम ने विकास दुबे के मकान जे-424 के बाहर नोटिस चस्पा कर नौ जुलाई (कल) को हर हाल में मकान का नक्शा कार्यालय में उपलब्ध कराने को कहा है। एलडीए के इस अल्टीमेंटम के बाद समझा जा रहा है कि एलडीए विकास दुबे के मकान पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करेगा।
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वहीं एलडीए की अब तक जांच में सामने आया है कि धर्मेंद्र ग्रोवर ने साल 2002 में कुल करीब 64 सौ वर्ग फिट में बनें इस मकान का एक नक्शा पास कराया था। जिसके बाद धर्मेंद ग्रोवर ने 16-16 सौ वर्ग फीट के चार हिस्से कर चार अलग-अलग लोगों को मकान बेच दिया था।
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मकान का एक हिस्सा जे- 424 विकास दुबे की पत्नी रिचा दूबे के नाम पर है। जबकि तीन अन्य अलग-अलग हिस्सें आदेश प्रताप सिंह चौहान, रागिनी सिंह व रिचा श्रीवास्तव के नाम है। एलडीए ने विकास दुबे के मकान पर ताला बंद होने पर मकान के बाहर नोटिस लगाने के साथ ही तीन अन्य मकानमालिकों को भी आज नोटिस रिसीव कराकर एलडीए में नौ जुलाई को नक्शा उपलब्ध कराने को कहा गया है।
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जानकारों के अनुसार एक मकान का नक्शा पास कराने के बाद उसे कई हिस्सों में बेचने के लिए मकान के हर भाग का सब डिवीजन कराकर अलग-अलग नक्शा पास कराना पड़ता है। जिसके एवज में एलडीए में भारी भरकम शुल्क भी जमा कराया जाता है, जिसके बाद मकान के हर हिस्से को वैध माना जाता है, लेकिन वर्तमान केस में अब तक किसी भी पक्ष की ओर से नक्शा सामने नहीं लाए जाने पर उम्मीद कम ही लग रही है कि सब डिवीजन कराया गया हो। मामले की गंभीरता को देखते हुए ऐसी हालत में भवन स्वामियों के अलावा एलडीए के तत्कालीन इंजीनियर व कर्मचारियों पर भी गाज गिर सकती है।
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प्रवर्तन जोन दो व तीन के प्रभारी अधिशासी अभियंता कमलजीत सिंह ने बताया कि रिचा दूबे के मकान में ताला बंद होने की वजहें से नौ जुलाई को नक्शा जमा करने की सूचना चस्पा करवा दी गयी है। इसके अलावा मकान के तीन अन्य हिस्से में रह रहे लोगों से भी नक्शा मांगा है। नक्शा नहीं मिलने की दशा में उच्चाधिकारियों के निर्देश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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बताते चलें कि कानपुर कांड के बाद बीते रविवार को एलडीए की टीम ने विकास दूबे के मकान संख्या जे-424 के अलावा उसके भाई प्रकाश दूबे के भी वहां से कुछ दूरी पर स्थित मकान की नाप-जोख की थी। दो दिन की जांच के बाद एलडीए ने प्रकाश दुबे के मकान के-528 को नक्शे के अनुरुप पाया था। वहीं विकास दुबे के मकान का नक्शा अभी तक एलडीए को नहीं मिल सका है।