आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। खाकी को शर्मसार कर देने वाला मामला एक बार फिर सूबे की राजधानी में सामने आया है। ठाकुरगंज पुलिस की वसूली और दबिश से एक युवक इतना सहम गया कि उसने अपने घर में ही फांसी लगाकर जान दे दी। सुबह घर में लाश फंदे से लटकती देख रोते-कलपते परिजनों ने पुलिसकर्मियों पर संगीन आरोप लगाने के साथ ही कार्रवाई की मांग को लेकर घंटों हंगामा किया। सूचना पाकर मौके पर पहुंचे पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने उचित कार्रवाई करने का आश्वासन देकर लोगों को शांत कराने के बाद लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।
बताया जा रहा है कि गऊघाट निवासी माता प्रसाद मजदूरी करते हैं। जबकि तीन बेटों और दो बेटियों में सबसे बड़ा अजय निषाद (22) इलाके के ही एक व्यकित का डाला (मालवाहक वाहन) किराए पर चलाता है। अजय के भाई विनोद ने बताया कि कल रात अजय अपने वाहन से घर लौट रहा था तभी गऊघाट चौकी के कुछ सिपाही उसे रोककर वसूली करने की कोशिश करने लगे, लेकिन वह अपने घर आ गया।
पीछे-पीछे सिपाही भी घर पहुंचे, जिन्हें देखकर सहमा अजय कहीं चला गया। जिसके बाद सिपाही अजय पर हत्या करने का आरोप लगाते हुए उसका डाला जबरदस्ती अपने साथ ले गए। भोर में डरा-सहमा अजय कहीं से घर लौटा और कमरे में पंखे के कुंडे के सहारे रस्सी के फंदे से लटकर जान दे दी।
सुबह घटना की जानकारी लगते ही गम और गुस्से से भरे परिजनों के साथ ही इलाके के लोगों ने लाश को कमरे में बंदकर हंगामा शुरू कर दिया। घटना की जानकारी लगते ही मौके पर पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने उचित मुआवजा दिलाने के साथ ही दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन देकर मामला शांत कराया।
बेटे ने किया है मर्डर, अभी दस हजार दो नहीं तो सुबह देने होंगे 20 हजार
भाई विनोद ने बताया कि बीती रात चौकी के तीन सिपाही हर घंटे घर आकर परिजनों को धमकाते रहें। वहीं मां ने कलपते हुए कहा कि सिपाही कह रहे थे कि तुम्हारें बेटे पर हत्या का केस लगेगा। दस हजार दे दो नहीं तो सुबह 20 हजार रुपए देने होंगे।
अजय का कसूर क्या था इसका जवाब किसी के पास नहीं
पुलिस एक डाला चालक के घर रातभर दबिश क्यों मारती रही इसका ठीकठाक जवाब राजधानी पुलिस के पास नहीं है। ठाकुरगंज इंस्पेक्टर मामले की जांच कराने की बात कहते रहें। वहीं मौके पर पहुंचे एएसपी पश्चिम विकास चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि अजय के वाहन से दुर्घटना हुई थी जिसके बाद पुलिस उसके घर पहुंची थी, हालांकि उसकी दुर्घटना किसके साथ हुई यह वह भी नहीं बता सके।
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वहीं कुछ लोगों का कहना था कि अजय का डाला इलाके में ही किसी के वाहन से टच कर गया था, लेकिन बात गंभीर नहीं होने के चलते वह आदमी वहां से चला गया। तभी गऊघाट चौकी का संरक्षण पाएं इलाके के ही एक अपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति ने इसकी जानकारी पुलिस को दे दी और चौकी के सिपाही दस-बीस हजार रुपए की वसूली करने के चक्कर में अपनी जिम्मेदारी भूलकर सारी हदें पार कर गए।
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परिवार का सहारा था अजय, बहन की होनी थी शादी
विनोद ने बताया कि मजदूरी कर रहे पिता की सहायता करने के लिए ही अजय डाला चलाता था। इसके अलावा छोटी बहन सुशीला की शादी भी होने वाली थी। जिसके लिए भी वह जी जान से मेहनत कर कुछ पैसे कमाने में जुटा था, लेकिन उसकी मौत ने पूरे परिवार के सपने को तोड़ दिया।
खुलेआम बिकती है शराब से लेकर स्मैक
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने पुलिस पर इलाकाई बदमाशों से मिलीभगत का आरोप लगाने के साथ ही पुलिस द्वारा अवैध शराब स्मैक और गांजा की बिक्री खुलेआम कराने की भी बात कही। क्षेत्रिय जनता ने कहा पुलिस चौकी के आसपास स्मैक से लेकर अवैध शराब तक बेची जाती है, लेकिन पुलिस अपना हिस्सा लेकर मुंह बंद रखती है। दो अक्टूबर जैसे दिन तो इलाकें में दो से तीन गुने दाम पर धड़ल्ले से शराब बिकती रही, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
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