आरयू ब्यूरो, स्पेशल। सूब के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद कोतवाली का चक्कर लगाकर पुलिस को सुधरने की हिदायत दे चुके हैं। डीजीपी से लेकर एसएसपी तक थानेदारों को कार्रवाई का डर दिखाकर पुलिसिंग सुधारने के बयान जारी करते रहते है, लेकिन इन सबके बाद भी राजधानी में एक बार फिर साबित हो गया कि थानेदारों के सामने यह सब बेकार की बातें हैं।
बीकेटी इलाके से एक अस्पताल के 25 वर्षीय लैब टेक्नीशियन का अपहरण हो जाता है। परिजन भाग दौड़कर अपहरण करने वाले युवकों का सीसीटीवी फुटेज हासिल कर इसकी जानकारी पुलिस को देते हैं, पुलिस बड़ी मुश्किल से एक आरोपित को कोतवाली लाती भी है, लेकिन नशे में होने की बात कहकर छोड़ देती है। अगले दिन युवक की हत्या के बाद गुडंबा इलाके में सड़क किनारे गड्ढे में लाश मिलती है। अब रोते-कलपते परिजन बीकेटी पुलिस की वजह से युवक की हत्या होने का आरोप लगाकर इंसाफ मांग रहे हैं। पुलिसिंग की यह हालत किसी छोटे शहर के गांव कस्बे की नहीं बल्कि सूबे की राजधानी की है।
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क्या था पूरा मामला
मिली जानकारी के अनुसार मूल रूप से सीतापुर निवासी राहुल पाण्डेय बीकेटी के रूद्रनगर में मां लक्ष्मी देवी पत्नी व दो साल की बेटी के साथ रहता था। राहुल बीकेटी इलाके में स्थित याशोदा हॉस्पिटल में लैब टेक्नीशियन के पद पर तैनात था। शुक्रवार की दोपहर करीब सवा दो बजे बीकेटी क्षेत्र का ही रहने वाला दीपू सिंह कार से अपने साथी विवेक सिंह की सहायता से राहुल का अपहरण कर लेता है। इस बीच परिजन राहुल के मोबाइल पर कॉल करते हैं काफी देर बाद भी पता नहीं चलने पर परेशान परिजन अस्पताल पहुंचकर सीसीटीवी फुटेज देखते हैं जिसके बाद अपहरण का खुलासा होता है।
मिन्नतों के बाद दीपू को पुलिस ने पकड़ा रात में नशे में होने की बात कहकर छोड़ दिया
राहुल के भाई जीवन कुमार पाण्डेय ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज की जानकारी देने के बाद भी पुलिस उसे देखने नहीं पहुंची। काफी मिन्नतों के बाद बीकेटी पुलिस ने दीपू को शुक्रवार को पकड़ा, लेकिन इतने गंभीर मामले में कड़ाई से पूछताछ करने की जगह रात में ही छोड़ दिया। पूछे जाने पर बीकेटी इंस्पेक्टर उदयवीर सिंह ने कहा अभी नशे में है, क्या बताएगा। भाई ने आरोप लगाया कि पुलिस के छोड़ने के बाद ही अपराधिक प्रावृत्ति के दीपू ने राहुल की गला कसकर हत्या करने के बाद शव को फेंक दिया। पुलिस अगर दीपू को नही छोड़ती तो आज उसका भाई जिंदा होता।
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दीपू थाने में बैठकर खेल रहा था गेम
भाई ने बताया कि शनिवार को कई लोगों से फोन कराने के बाद बड़ी मुश्किल से पुलिस दीपू को दोबारा थाने ले आई। हम लोग दीपू से राहुल के बारे में जानकारी के लिए पहुंचे तो वह आराम से थाने में ही बैठकर मोबाइल पर गेम खेल रहा था। बीकेटी पुलिस थाने में उसका दामाद की तरह खातिर कर रही थी। वहीं पुलिस दूसरे आरोपित विवेक सिंह को भी पकड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही थी।
इंस्पेक्टर बन गए कार मिस्त्री
आज पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे राहुल के एक दोस्त ने पत्रकारों को बताया कि राहुल के अपहरण के बाद हम लोगों ने शुक्रवार को ही बीकेटी इंस्पेक्टर से घटना में इस्तेमाल दीपू की कार को कब्जे में लेकर जांच की बात कही, लेकिन इंस्पेक्टर खुद कार मकैनिक बन गए और कहा कार खराब है। यहां नहीं आ सकती। शनिवार की रात जब राहुल की हत्या हो जाने की बात साफ हो गई तो बीकेटी पुलिस कार कोतवाली ले आई।
दीपू पर है पहले से मुकदमें, पुलिस बोली जानकारी नहीं
भाई ने कहा कि हम लोग दो दिन से परेशान होकर राहुल को बीकेटी इलाके में ही ढूंढ रहे थे। तभी क्षेत्र के लोगों ने बताया कि रूदहई गांव निवासी दीपू अपराधिक प्रवृत्ति का है और गांव में ही जुआ खेलवाता है और बीकेटी कोतवाली से पहले जेल भी भेजा जा चुका है। वहीं दूसरी ओर रविवार दोपहर तक बीकेटी इंस्पेक्टर दीपू पर मुकदमा दर्ज होने की जानकारी से ही इंकार करते रहे।
परिजन ने कहा बेहद सीधा था राहुल, इंस्पेक्टर का दावा वर्चस्व के लिए हुई हत्या
भाई जीवन और दोस्तों ने बताया कि राहुल बेहद सीधा था। नशे के नाम पर उसने कभी गुटखा भी नहीं खाया। वह हमेशा अपने काम से मतलब रखता था। वहीं इंस्पेक्टर बीकेटी उदयवीर सिंह ने दावा किया है कि वर्चस्व को लेकर राहुल और दीपू की कुछ दिन पहले इलाके में ही हॉट टॉक हुई थी। हालांकि इंस्पेक्टर यह नहीं बता सके कि राहुल किस बात के लिए वर्चस्व स्थापित करना चाहता था।
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दीपू को कोतवाली से छोड़ने की बात गलत है, अगर पुलिस ने उसे छोड़ा होता तो हत्या करने के बाद वह भाग गया होता। दीपू अब भी पुलिस की कस्टडी में है, उसे जेल भेजा जा रहा है। एएसपीआरए, डा. सतीश कुमार