27 महीने बाद सीतापुर से रामपुर पहुंचे आजम खान ने कहा, जड़ में जहर डालने वाले लोग अपने, पढ़ें कद्दावर नेता के बयान की खास बातेंं

रामपुर पहुंचे आजम खान

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। करीब 27 महीनों बाद जेल से रिहा होने पर सपा के कद्दावर नेता आजम खान शुक्रवार को सीतापुर से अपने गृह जनपद रामपुर पहुंचे। शहर में उनका जगह-जगह समर्थकों ने फूल-मालाओं के साथ आजम खान तुम संघर्ष करो हम तुम्‍हारे साथ है, जैसे नारों से स्‍वागत किया।

अपनों का प्‍यार देख आजम खान भी आज रामपुर में काफी भावुक नजर आए। उनके चेहरे पर भी दर्द साफ झलक रहा था, लेकिन अपनों के बीच पहुंचने के बाद आजम खान ने अपने दिल की बात साफ और संतुलित शब्‍दों में रखी, हालांकि सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव के बारे में उन्‍होंने खुलकर कुछ नहीं बोला। रामपुर में समर्थकों को संबोधित करने के साथ ही मीडिया के सवालों पर आजम खान ने इतना जरूर कहा कि इस दरख्‍त (आजम खान) की जड़ में जहर डालने वाले लोग अपने है। साथ ही आजम खान ने यह भी स्‍वीकार किया कि उनकी तबाही में उनके ही अपनों का बड़ा हाथ है। हालांकि इस दौरान सपा विधायक ने इस बात का भी जिक्र किया कि किस तरह से उनके जानने वालों ने भी उनपर फर्जी मुकदमें लगवाएं जो बाद में बेबुनियाद साबित हुए।

कभी यूपी की सत्ता में हनक रखने वाले आजम खां आज जब रामपुर पहुंचे तो उनका दर्द छलक पड़ा। अपने शहर और लोगों को देखकर आजम के चेहरे पर दर्द साफ दिख रहा था। कार से ही लोगों को संबोधित करते हुए आजम खां ने जेल में बिताए गए दो साल दो माह 24 दिनों के बारे में बात की। इस दौरान उन्होंने परिवार और शहर के लोगों का जिक्र भी किया।

यह भी पढ़ें- 27 महीनों के बाद आखिरकार जेल से बाहर आए आजम खान, मिलने पहुंचे शिवपाल व समर्थक

रामपुर में कार से ही लोगों को संबोधित करते हुए आजम ने कहा कि हमारे व हमारे परिवार के साथ जो हुआ उसे भूल नहीं सकते। हमारे शहर को उजाड़ दिया गया। जेल में किस तरह उन्होंने समय बिताया इस बारे में भी लोगों को बताया।

आजम ने कहा कि रात होती थी तो सुबह और सुबह होती थी तो रात का इंतजार करते थे। मुझे सजायाफ्ता कैदी की तरह जेल में रखा गया। इस दौरान उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया पर कहा कि सबसे ज्यादा जुल्म तो मेरे अपनों ने किए हैं। आजम का ये बयान अखिलेश यादव से जोड़कर देखा जा रहा है।

संबोधन के दौरान आजम अपने सियासी भविष्य पर भी बोले। उन्होंने कहा कि मेरा 40 साल का सफर बेकार नहीं जाएगा। मेरा वक्त फिर लौटकर आएगा। हम आपके सामने जिंदा खड़े हैं ये किसी आश्चर्य से कम नहीं। हमें जहां रखा गया था उस कोठरी में अंग्रेजों के जमाने में उन लोगों को रखा जाता था जिन्हें दो-तीन दिन बाद फांसी होनी होती थी। हमारी कोठरी के पास ही फांसीघर था। हमारे बच्चे और पत्‍नी के आ जाने के बाद हम अकेले रह गए थे, बस दीवार और छत थी। रात होती थी तो सुबह का तसव्वुर रहता था और सुबह को शाम का तसव्वुर होता था। इस तरह आपसे जुदा होकर समय गुजारा है। हमारे रिश्तों में तसव्वुर ही नहीं था कि हम और आप जुदा होंगे।

यह भी पढ़ें- मीडिया प्रभारी फसाहत का संगीन आरोप, अखिलेश नहीं चाहते जेल से बाहर आएं आजम खान, हमें बना दिया भाजपा का दुश्मन

सपा विधायक ने उन पर हुई कार्रवाईयों पर सवाल उठाते हुए कहा कि कहा कि तारीख को तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है, लेकिन मिटाया नहीं जा सकता। हमारे साथ जो हुआ, हमारे घर, खानदान, शहर और जिले के साथ हुआ। चमन बसाए जाते हैं उजाड़े नहीं जाते, ये चमन किस प्रकार उजाड़ा गया है ये आनी वाली नस्ल पर भी असर डालेगा।

नाम बदलने की राजनीत पर आजम खान ने कहा कि नाम बदल देने से अकीदा, यकीन और इमान नहीं बदलता है। जुल्म और जालिम की मुद्दत लंबी नहीं होती और जब जुल्म खत्म होता है तो जालिम भी खत्म हो जाता है। हमारा-आपका साथ 40 साल लंबा है, हमारी-आपकी मोहब्बत कम नहीं होगी।

वहीं योगी आदित्‍यनाथ की कार्यप्रणाली पर आजम खान ने कहा कि हमसे इतनी नफरत क्यों है, मैं ये समझ नहीं पा रहा हूं। इसके बाद विधानसभा में मुलाकात को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कभी मुलाकात होने पर यह जानने की कोशिश जरूर करूंगा कि मुझे नफरत का कारण क्या है।

वहीं आज घर पहुंचे आजम खान ने प्रेसवार्ता में सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट को शुक्रिया कहा। इसके बाद उन्होंने बताया कि मेरी तबियत खराब है। तकलीफ भी बहुत है। हमारा मिशन कभी राजनीतिक नहीं रहा। 40 साल के सियासी सफर में कभी कोई गलत काम नहीं किया। हमने अपना शहर कैसे बसाया था, देख सकते हैं। जौहर यूनिवर्सिटी को लेकर आजम खान ने कहा कि जब मकसद बड़ा हो तो फायदे और नुकसान भी बड़े ही होते है। साथ ही कहा कि उन्‍होंने कभी किसी की जमीन नहीं हड़पी जिसकी जमीन ली उसे चेक से पैसा दिया।