RSS के स्‍थापना दिवस पर बोले मोहन भागवत 70 साल बाद महसूस हो रही आजादी

मोहन भागवत
मोहन भागवत। (फाइल फोटो)

आरयू वेब टीम। 

हर साल की तरह इस बार भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने नागपुर में विजयदशमी के अवसर पर अपना स्थापना दिवस मनाया। आरएसएस ने स्थापना दिवस कार्यक्रम में शक्ति प्रदर्शन किया। इस अवसर पर स्वयंसेवकों का पथ संचलन सुबह 6.15 बजे रेशमबाग मैदान से शुरु हुआ, जो शहर के मुख्‍य मार्गों से होकर गुजरा।

इस मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन मोदी सरकार के काम और पॉलिसी की तारीफ करते हुए कश्मीर मुद्दे के साथ-साथ समान नागरिक संहिता और म्यांमार की रोहिंग्या शरणार्थी समस्या का भी जिक्र किया। साथ ही डोकलाम में भारत की रणनीति और धैर्य की भी तारीफ की।

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मोहन भागवत ने कार्यकर्ताओं को दशहरे की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि देश में 70 साल बाद अब आजादी महसूस हो रही है। उन्होंने कहा कि हम 70 साल से स्वतंत्र हैं, फिर भी पहली बार अहसास हो रहा है कि भारत की प्रतिष्ठा बढ़ रही है। भारत पहले भी था, हम सब भी थे, लेकिन भारत को गंभीरतापूर्वक देखना और भारत में दखल देने से पहले 10 बार विचार करना। यह बातें केवल आज सामने ही आई हैं।

कश्‍मीरी पंडित का जिक्र करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि वह आज भी अधिकारों से वंचित हैं। अलगाववादियों पर सख्ती जारी रखते हुए वहां के नागरिकों को आत्मीयता का अनुभव कराना चाहिए, इसके लिए नए प्रावधान बनाने पड़े तो बनाना चाहिए, पुराने प्रावधान हटाने पड़े तो हटाना चाहिए।

वहीं उन्‍होंने कहा कि जम्मू और लद्दाख के साथ पहले सौतेला व्यवहार किया गया। 2-3 महीने पहले कश्मीर में स्थितियां अनिश्चित थीं, लेकिन जिस तरह से अलगाववादियों से निपटा गया है, पुलिस और सेना को पूरा कंट्रोल दिया गया, वह सराहनीय है। कश्मीर में देश विरोधी ताकतों की आर्थिक रूप से कमर टूट गई।

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इसके अलावा केरल और बंगाल को लेकर भी उन्होंने टिप्पणी की। भागवत ने कहा कि वहां जिहादी और राष्ट्र विरोधी ताकतें अपना खेल खेल रही हैं। शासन-प्रशासन वहां का ध्यान नहीं देता है, वह भी उन्हीं का साथ देता है। राजनीति में वोटों की खुशामद करनी पड़ती है, लेकिन समाज मालिक है। उस समाज को जागरूक बनाना चाहिए।

दूसरी ओर रोहिंग्‍या के मसले पर मोहन भागवत ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों को अगर आश्रय दिया तो रोजगार पर भार और सुरक्षा पर संकट होगा। मानवता की बात ठीक है पर उसके लिए कोई अपने मानवों को समाप्त करे ये ठीक नहीं। वह वहां से यहां क्यों आए हैं। वहां क्यों नहीं रह सकते। सारी जानकारी लेते हैं तो ध्यान आता है कि उनकी अलगाववादी, हिंसक और आपराधिक गतिविधियां इसका कारण हैं। जिहादी ताकतों से उनके संबंध वहां पर उजागर हो गए। इसलिए उस देश के शासन का रवैया भी उनके प्रति कड़ा ही है।

संघ प्रमुख ने कहा कि सब प्रकार की तस्करी विशेषकर गो तस्करी, बांग्लादेश की सीमा पर चलती है। गोरक्षक और गोरक्षा का प्रचार करने वाले मुस्लिम भी हैं दूसरे संप्रदायों के भी हैं। गाय की रक्षा करने वालों की यूपी में हत्या हुई जिसमें सिर्फ बजरंग दल वाले ही नहीं बल्कि मुस्लिम भी शहीद हुए। जो गोरक्षा की आड़ में हिंसा करते हैं कानून उन पर ऐक्शन लेगा, गोरक्षकों को परेशान नहीं होना चाहिए, अपना काम करते रहना चाहिए।

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वहीं उन्‍होंने कार्यक्रम की शुरूआत कहा कि शुक्रवार को मुंबई में जो दुखद घटना हुई, उसको लेकर सभी के मन में वेदना है। जीवन में ऐसी बातों का सामना करके आगे बढ़ना पड़ता है। उन्होंने कहा कि विजयादशमी का पर्व विजय देने वाला पर्व है। आरएसएस के विजयादशमी उत्सव में मोहन भागवत के अलावा कृष्‍ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समेत तमाम दिग्‍गज पहुंचे।

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