आरयू ब्यूरो, लखनऊ/वाराणसी। जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक नुकसान धरती और जल का ही हुआ है। धरती माता के साथ खिलवाड़ हर हाल में बंद होना चाहिए। इसके लिए जरूरी है रासायनिक खेती की जगह गौ आधारित प्राकृतिक खेती की जाए। प्राकृतिक खेती से जो उत्पाद आता है, उसकी केमिकल वाली खेती के उत्पाद से तुलना की गई तो पता चला कि गो आधारित प्राकृतिक खेती ज्यादा बेहतर है।
उक्त बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के स्वतंत्रता भवन सभागार में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी ‘सुफलाम’ को संबोधित कर कही। तीन दिवसीय संगोष्ठी में दूसरे दिन शामिल मुख्यमंत्री ने किसानों से गौ आधारित प्राकृतिक खेती करने का आह्वान कर कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार गंभीर है। किसानों को विभिन्न योजनाओं के जरिए लाभ दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गंगा किनारे के 27 जिलों में प्राकृतिक खेती को बढावा दिया जाएगा।
इसके लिए प्राकृतिक परिषद का गठन किया गया है। कृषि विभाग ने भी किसानों की स्थिति सुधारने के लिए व्यवस्था बनाई है। केन्द्र और राज्य सरकार ने मिलकर इस दिशा में काम किया है। इसके सार्थक परिणाम देखने को मिले हैं। मुख्यमंत्री ने गंगा की स्वच्छता में नमामि गंगे परियोजना का उल्लेखकर कहा कि कानपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 में राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में शामिल हुए थे। तब कानपुर में सीसामऊ नाले में 14 करोड़ लीटर प्रतिदिन सीवेज गंगा में डाला जाता था। आज स्थिति पूरी तरह अलग है। आज यहां मछली और जलीय जीव दिखाई दे रहे हैं। यह सकारात्मक परिवर्तन है। ये दिखाता है कि मां गंगा का जल अब शुद्ध है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 के पहले भी हम लोग काशी में आते थे। नमामि गंगे परियोजना के लागू होने के पहले हालात दूसरे थे। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ के अफसरों ने बताया कि नमामि गंगे परियोजना के लागू होने के पहले और लागू होने के बाद में अंतर आया है। पहले जब वे लोग गंगा में अभ्यास करते थे तो पूरे शरीर में लाल चकत्ते पड़ जाते थे। खुद के विकास के लिए लोग पर्यावरण को जहरीला बनाते जा रहे हैं। जीवन का अस्तित्व पांच तत्वों क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा से ही है। इसे अब बचाने की जरूरत है।