कांग्रेस नेता ने कहा, हेट स्पीच मामलों में सुप्रीम कोर्ट की कथनी-करनी में फर्क लोकतंत्र के लिए घातक

न्यायपालिका का दुरुपयोग
शाहनवाज आलम। (फाइल फोटो)

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बावजूद ऐसी घटनाएं नहीं रुक रही हैं, क्योंकि उसकी चिंताओं और अमल में खुद ही तालमेल नहीं है। ये बातें उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने रविवार को साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम में कहीं।

शाहनवाज ने कहा कि यह अजीब विडंबना है कि सुप्रीम कोर्ट एक सुनवाई के दौरान जोर देकर कहता है कि भारत एक ’सेकुलर’ राज्य है और हेट स्पीच को स्वीकार नहीं किया जा सकता, लेकिन अगले ही दिन कॉलेजियम से जिन पांच जजों को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्‍त करता है उसमें एक नाम राजस्थान के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल का भी है, जिन्होंने पिछले साल चार दिसंबर को जम्मू-कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश के बतौर बयान दिया था कि हमारे संविधान में सेकुलर शब्द जुड़ने से भारत की छवि धूमिल हुई है और इसे बदलकर आध्यात्मिक लोकतंत्र कर देना चाहिए।

कांग्रेस नेता ने सवाल उठाते हुए आगे कहा कि जब संविधान की प्रस्तावना के मूल तत्व जिसमे सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के मुताबिक ही कोई बदलाव नहीं हो सकता, उसमें खुद जज ही आस्था नहीं रखेंगे तो उनकी विश्‍वसनीयता पर कौन भरोसा करेगा।

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उन्होंने कहा कि बीते 21 अक्‍टूबर को ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सरकारों से हेट स्पीच के मामलों में कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था, लेकिन तीन महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी किसी राज्य सरकार ने कोई रिपोर्ट नहीं सौंपी और न सुप्रीम कोर्ट ने ही इस देर के लिए उनसे जवाब तलब किया। इससे समाज में यह संदेश गया है कि न्यायपालिका और सरकार दोनों एकमत हैं कि हेट स्पीच किसी कीमत पर रुकने नहीं चाहिए और लोगों को सिर्फ भ्रमित करने के लिए ही बीच-बीच में न्यायापालिका से ऐसी टिप्पणीयां करा दी जाती हैं।

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शाहनवाज ने कहा कि हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अगंभीर रवैय्ये का अंदाजा इससे भी लग जाता है कि साल 2007 में योगी आदित्यनाथ द्वारा गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर दिये गए भड़काऊ भाषण जिसके बाद वहां बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी, के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 26 अगस्त 2022 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया जिसमें इस मामले में खुद योगी आदित्‍यनाथ द्वारा अपने को क्लीन चिट देने को न्यायसम्मत माना गया था।

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आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता ने अंत में यह भी कहा कि न्यायपालिका का एक हिस्सा पूरी तरह सरकार के इशारे पर चल रहा, जिससे लोगों का भरोसा न्यायपालिका पर कमजोर हुआ है। उन्होंने कहा कि भाजपा को सत्ता से हटाए बिना स्वतंत्र न्यायपालिका की कल्पना नहीं की जा सकती।