आरयू वेब टीम। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा पर चिंता व्यक्त की है। भागवत ने कहा कि मणिपुर में एक साल बाद भी शांति स्थापित नहीं हो सकी। पूर्वोत्तर राज्य के हालात पर प्राथमिकता के साथ विचार होना चाहिए। मोहन भागवत के इस बयान पर विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रतिक्रिया दी। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि आरएसएस प्रमुख के बोलने से क्या होता है। उन्हीं के आशीर्वाद और कहने से सरकार चलती है।
वहीं, एनसीपी (शरद पवार गुट) की नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि मैं मोहन भागवत के बयान का स्वागत करती हूं, क्योंकि मणिपुर भारत का हिस्सा है और जब हम अपने लोगों को इतना कष्ट सहते हुए देखते हैं, तो यह हम सभी के लिए बेहद परेशान करने वाला होता है। उन्होंने आगे कहा कि इंडिया गठबंधन लंबे समय से इसकी मांग कर रहा है। आइए सभी दलों के साथ एक अच्छी समिति बनाएं, आइए मणिपुर को विश्वास दिलाएं, बंदूक से हल नहीं होता।
वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘यह खबरें तो बार-बार आ रही थी कि आरएसएस भाजपा से खुश नहीं है। मगर समस्या यह है कि क्या आरएसएस के कहने पर भाजपा सीख लेगी। मुझे नहीं लगता की सीख लेगी, क्योंकि भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद कह चुके हैं कि हमें आरएसएस की जरूरत नहीं है, हम आत्मनिर्भर हैं।
बता दें कि मोहन भागवत सोमवार को नागपुर में रेशमबाग में डॉ. हेडगेवार स्मृति भवन परिसर में पहुंचे थे। उन्होंने यहां पर कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय के समापन कार्यक्रम में आरएसएस प्रशिक्षुओं की एक सभा को संबोधि किया। उन्होंने इस दौरान कहा कि मणिपुर पिछले एक साल से शांति स्थापित होने का इंतजार कर रहा है। दस साल पहले मणिपुर में शांति थी। ऐसा लगा था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा बढ़ गई है।
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उन्होंने कहा, मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार करना होगा। चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर राष्ट्र के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अशांति या तो भड़की या भड़काई गई, लेकिन मणिपुर जल रहा है और लोग इसकी तपिश का सामना कर रहे हैं। पिछले साल मई में मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी। तब से अब तक करीब 200 लोग मारे जा चुके हैं।
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