सस्ते लोन की आस लगाए लोगों को झटका, RBI ने नहीं कम किया रेपो रेट

आरबीआइ रेपो रेट

आरयू वेब टीम। काफी समय से लोन सस्ता होने और ईएमआइ की राशि कम होने की आस लगाए लोन धारकों को झटका लगा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने गुरुवार को रेपो रेट दर में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। साथ ही लोनधारक आरबीआइ से रेपो रेट घटाने की उम्मीद लगाए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में होम लोन, पर्सनल लोन समेत अन्य तरह के लोन की ब्याज दरों में कोई राहत नहीं मिली है। आरबीआइ ने लगातार 9वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है।

रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने मीडिया को बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने यथास्थिति बनाए रखने का फैसला किया है और रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बिना बदले स्थिर रखा है। रिजर्व बैंक ने लगातार 9वीं बार रेपो रेट को नहीं बढ़ाया है। आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो रेट को बदला गया था और 25 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया था। इसके बाद से इसे चेंज नहीं किया गया है।

साथ ही शक्तिकांत दास ने कहा कि 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है। गवर्नर ने कहा कि ग्रोथ रेट पहली तिमाही में 7.1 फीसदी, दूसरी तिमाही में 7.2 फीसदी, तीसरी तिमाही में 7.3 फीसदी और चौथी तिमाही में 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है। 2025-26 की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है।

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आरबीआइ की एमपीसी की बैठक हर दो महीने में होती है और इसमें शामिल रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास समेत छह सदस्य महंगाई समेत अन्य मुद्दों और बदलावों पर चर्चा करते हैं। रेपो रेट का सीधा कनेक्शन बैंक लोन लेने वाले ग्राहकों से होता है। रेपो रेट कम होने से लोन की ईएमआइ घट जाती है और इसमें इजाफा होने से ये बढ़ जाती है।

दरअसल, रेपो रेट वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक धन की किसी भी कमी की स्थिति में कमर्शियल बैंकों को पैसा उधार देता है। रेपो रेट के जरिए मार्केट के कैश फ्लो को कंट्रोल करके महंगाई को नियंत्रित किया जाता है।

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