गुलामी की मानसिकता ने भारत की विकास यात्रा को किया बहुत ज्यादा प्रभावित: प्रधानमंत्री मोदी

तीन नए कानून
कार्यक्रम को संबोधित करते नरेंद्र मोदी।

आरयू वेब टीम। “कई लोग भारत में यह सोचकर निवेश करने से बचते थे कि अगर किसी भी प्रकार का मुकदमा दर्ज हुआ, तो उसमें कई साल लग जाएंगे, लेकिन अब यह सब खत्म हो चुका है। अब सभी निवेशक बेहद ही आसानी से निवेश कर सकते हैं। निसंदेह इससे देश की अर्थव्यवस्था को एक नई गति मिलेगी। देश की उत्पादकता बढ़ेगी।

ये बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को चंडीगढ़ पहुंचकर तीन नए कानूनों को लेकर आयोजित कार्यक्रम में कहीं। इस दौरान पीएम मोदी ने तीन नए कानूनों की उपयोगिता के बारे में विस्तारपूर्वक अपनी बात रखी। वहीं प्रधानमंत्री ने चंडीगढ़ आने पर खुशी जताते हुए कहा, “चंडीगढ़ आने पर मुझे लगता है कि मैं अपने लोगों के बीच में आ चुका हूं। मैं तीनों कानून के लागू होने पर देश को बधाई देता हूं।” साथ ही ”कहा कि नागरिकों का स्वाभिमान बढ़ाने वाले कानूनों को भी हम महत्व दें।

मोदी ने कहा, “1857 की क्रांति के तीन साल बाद 1860 में अंग्रेज भारतीय दंड संहिता लेकर आए। इसके बाद इंडियन एविडेंस एक्ट आया, फिर सीआरपीसी का मसौदा अस्तित्व में आया। यह सब भारतीयों को दंडित करने के लिए लाए गए थे।” समय-समय पर इनमें संशोधन हुए, लेकिन उनका असली चरित्र वही बना रहा। आजाद देश में गुलामी के लिए बने कानून को क्यों ढोया जाए। यह सवाल न हमने खुद से पूछा, न शासन करने वाले लोगों ने इस पर विचार करने की जरूरत समझी। गुलामी की मानसिकता ने भारत की विकास यात्रा को बहुत ज्यादा प्रभावित किया।”

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उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “चंडीगढ़ में वाहन चोरी होने पर महज 11 महीने में सजा मिल गई। क्षेत्र में अशांति फैलाने पर महज 20 दिन के अंदर आरोपित को सजा दे दी गई।” दिल्ली में भी एक केस में एफआइआर से लेकर फैसला आने तक सिर्फ 60 दिन का समय लगा। आरोपित को 20 साल की सजा सुनाई गई। बिहार के छपरा में भी एक मर्डर केस में एफआइआर से लेकर फैसला आने तक सिर्फ 14 दिन लगे और आरोपितों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। ये फैसले दिखाते हैं, न्याय संहिता की ताकत और उनका प्रभाव क्या है।”

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