आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी शिक्षक नियुक्त कराने वाले सहायक शिक्षक को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है। मथुरा जिले के मॉट थाना क्षेत्र के भद्रवन गांव निवासी आलोक उपाध्याय को जालसाजी समेत अन्य संगीन मामलों में एसटीएफ काफी समय से तलाश रही थी। मथुरा के रोडवेज से आलोक को गिरफ्तार करते हुए एसटीएफ ने उसके पास से मोबाइल फोन, आधार कार्ड समेत अन्य सामान बरामद किया है। आलोक मथुरा के ही डहरू स्थित एक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात है।
एसटीएफ के एसएसपी अभिषेक सिंह ने शनिवार को मीडिया को बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग में अपात्र अभ्यर्थियों को शिक्षकों के रूप में नियुक्त किए जाने की सूचनाएं मिली थी। जिसपर आगरा फील्ड इकाई की एसटीएफ को कार्यवाही करने के लिए कहा गया था। जिसके बाद सीओ श्यामकांत की टीम ने फर्जी नियुक्ति के मामले का खुलासा करते हुए बीते 19 जून को 16 तथा 24 जुलाई 2018 को एक अभियुक्त को गिरफ्तार किया था।
मथुरा कोतवाली में सभी के खिलाफ भ.द.वि. की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी व 8/9 भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुकदमा लिखा गया था। इन्हीं धाराओं के तहत आलोक की भी तलाश चल रही थी। पकड़े जाने पर आलोक ने पूछताछ में बताया कि शिक्षा विभाग में हुयी पिछली भर्तियों में उसने वेगराज के साथ मिलकर अनेक अपात्र शिक्षकों को नियुक्त कराने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी।
एसटीएफ के अधिकारी ने आगे बताया आलोक ने कुछ समय पहले एबीएसए नारखी, फिरोजाबाद प्रवीन कुमार अग्रवाल, बीएसए मथुरा कार्यालय के बड़े बाबू कुंज बिहारी, लेखपाल देवी राम, सचिव ग्राम पंचायत तुलाराम को भ्रष्टाचार निवारण संगठन से पकड़वाने में अहम भूमिका निभायी थी। इस वजह से शिक्षा विभाग के अधिकारी व कर्मचारी इससे डरते थे।
एसोसिएशन की आड़ में करता था गैर कानूनी काम, स्कॉउट घोटाले में भी था शामिल
साथ ही वो साल 2015 में जनपद मथुरा में हुए स्कॉउट घोटाले में भी शामिल था। उसने खुद को यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन, यूपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया था। इसी संगठन की आड़ में भी गैर कानूनी कामों को वो अंजाम देता था।
यह भी पढ़ें- दिनेश शर्मा ने कहा, पारदर्शिता के साथ चल रही शिक्षा विभाग के डेढ़ लाख पदों पर भर्तियां,