आरयू ब्यूरो, लखनऊ। गैंगरेप पीड़िता के परिवार से मिलने हाथरस पहुंचे राजनीतिक दलों के नेताओं पर किए गए लाठीचार्ज को लेकर एक ओर जहां यूपी पुलिस की किरकिरी हो रही है। वहीं दूसरी तरफ सोमवार को एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने यूपी पुलिस की ओर से मीडिया के सामने पक्ष रखा है।
एडीजी ने कहा है कि रविवार को हाथरस में भीड़ कोविड गाइडलाइंस का उल्लंघन करते हुए हिंसा पर उतारू हो गई थी, जिसके बाद हल्का बल का उपयोग करके स्थिति को नियंत्रित किया गया। सोशल मीडिया पर भ्रामक पोस्ट डालकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों के विरूद्ध अभियोग पंजीकृत किए गए हैं।
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वहीं मामले को लेकर राज्य सरकार ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए। दावा है कि हाथरस को लेकर जिले में जातीय दंगे भड़काने की साजिश रची गई।
अमन-चैन बिगाड़ने के उद्देश्य से पीड़ित परिवार को…
इस बारे में आज प्रशांत कुमार ने कहा है कि हाथरस में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर कुछ अराजक तत्व प्रदेश में अमन-चैन बिगाड़ने और जातीय द्वेष फैलाने के उद्देश्य से पीड़ित परिवार को भड़काने, गलत बयान देने के लिए दबाव बनाने और उन्हें 50 लाख रुपए देने के मामले सामने आए हैं। इसको लेकर प्रलोभन देने लोगों के संबंध में अभियोग पंजीकृत किया गया है।
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उल्लेखनीय है कि हाथरस गैंगरेप पीड़िता की मौत बीते सप्ताह तीस अक्टूबर की सुबह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में हो गया था। 14 अक्टूबर को उसके साथ गैंगरेप की वारदात सामने आई थी। मामले में चार आरोपी को गिरफ्तार किया जा चुका है। राज्य सरकार ने मामले के लिए पहले एसआईटी टीम का गठन किया। लेकिन, प्राथमिक रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद अब मामले की जांच की सिफारिश सीबीआई से की गई है। जबकि, पीड़िता का परिवार सीबीआई की जांच से खुश नहीं है। परिवार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच हो।