आरयू वेब टीम। कृषि कानून का सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर बैठकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों पर दिल्ली पुलिस ने एफआइआर दर्ज की है। प्राथमिकी में किसानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने का आरोप लगाते हुए महामारी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।
साथ ही कहा गया है कि ये किसान 29 नवंबर को लामपुर बॉर्डर से जबरन दिल्ली की सीमा में घुस आए थे और सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर धरने पर बैठ गए थे, तब से अब तक वहां किसान ऐसे ही रोड ब्लॉक कर बैठे हैं। सात दिसंबर को भी पुलिस ने अलीपुर थाने में किसानों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी।
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गौरतलब है कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को सरकार का पक्ष सामने रखा और किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की। वहीं कृषि मंत्री के बाद किसानों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। किसान नेता बूटा सिंह ने कहा, ‘हमने दस दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिया है। अगर प्रधानमंत्री हमारी बात नहीं सुनते हैं और कानून को रद्द नहीं करते हैं तो हम रेलवे ट्रैक को ब्लॉक कर देंगे। बैठक में फैसला लिया गया कि देश के सभी लोग पटरियों पर उतरेंगे। संयुक्त किसान मंच एक तारीख तय करेगा और इसकी घोषणा करेगा।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि यदि केंद्र 15 में से हमारी 12 मांगों पर सहमत हो रहा था, इसका मतलब है कि बिल सही नहीं हैं, तो उन्हें नष्ट क्यों नहीं किया जाना चाहिए। हमने एसएसपी पर एक कानून की मांग की थी, लेकिन वे अध्यादेश के माध्यम से तीन बिल लाए थे। हमारा विरोध शांतिपूर्वक जारी रहेगा।
वहीं, भारतीय किसान यूनियन के बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने माना है कि कानून व्यापारियों के लिए बनाए गए हैं। यदि कृषि राज्य का विषय है, तो उन्हें इसके बारे में कानून बनाने का अधिकार नहीं है।