आरयू वेब टीम। जस्टिस नुतालपति वेंकट रमना शनिवार को भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश बन गए। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 11 बजे उन्हें पद और गोपनियता की शपथ दिलाई। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू समेत सुप्रीम कोर्ट के कई जज उपस्थित रहे। अल्पभाषी और सौम्य स्वभाव के जस्टिस रमना का कार्यकाल लगभग 16 महीने का होगा।
27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में जन्मे जस्टिस रमना ने किशोर आयु में ही तटीय आंध्र और रायलसीमा के लोगों के अधिकारों के लिए चलाए जा रहे जय आंध्र आंदोलन में हिस्सा लिया। वो कॉलेज के दिनों में छात्र राजनीति से जुड़े रहे और कुछ समय तक पत्रकारिता भी की। फरवरी 1983 में वकालत शुरू करने वाले रमना आंध्र प्रदेश के एडिशनल एडवोकेट जनरल रहने के अलावा केंद्र सरकार के भी कई विभागों के वकील रहे। 2000 में वह आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के स्थायी जज बने।
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2014 में सुप्रीम कोर्ट में अपनी नियुक्ति से पहले वह दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के तौर पर उनका कार्यकाल 26 अगस्त 2022 तक होगा। इस तरह वह 16 महीने तक इस अहम पद पर रहेंगे। वहीं पिछले कुछ सालों में जस्टिस रमना का सबसे चर्चित फैसला जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की बहाली का रहा है। सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों की तेज़ सुनवाई के लिए हर राज्य में विशेष कोर्ट बनाने का आदेश देने वाली बेंच की अध्यक्षता भी उन्होंने ही की थी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के कार्यालय को सूचना अधिकार कानून (आरटीआइ) के दायरे में लाने का फैसला देने वाली बेंच के भी जस्टिस रमना सदस्य रह चुके हैं।