आरयू वेब टीम। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार के खिलाफ ‘जिम्मेदार कौन’ अभियान चल रखा है। इस अभियान के तहत प्रियंका गांधी हर रोज मोदी सरकार के सामने सवालों की झड़ी लगा दी है। इसी क्रम में शनिवार को दावा करते हुए प्रियंका ने कहा कि जब प्रधानमंत्री कोरोना से युद्ध जीतने की झूठी घोषणाएं रहे थे, तभी बेड़ों की संख्या घटा दी गई थी।
प्रियंका गांधी ने आज अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर कहा, ‘जब जनवरी में प्रधानमंत्री “कोरोना से युद्ध जीत लेने” की झूठी घोषणाएं कर रहे थे, उसी समय देश में ऑक्सीजन बेडों की संख्या 36 प्रतिशत, आइसीयू बेडों की संख्या 46 प्रतिशत और वेंटिलेटर बेडों की संख्या 28 प्रतिशत घटा दी गई। स्वास्थ्य सुविधाएं दुरुस्त करने की सलाहों को दरकिनार किया। जिम्मेदार कौन?’
कांग्रेस महासचिव ने कहा, पिछले महीने भारतीय संगीत को बुलंदियों पर पहुंचाने वाले पंडित राजन मिश्रा का दिल्ली में वेंटीलेटर बेड न मिलने की वजह से निधन हो गया। इस घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया। सबने इस घटना को सरकारी लापरवाही और व्यवस्था की नाकामी के रूप में देखा। अप्रैल 2021 में भारत में कोरोना के लगभग 66 लाख मामले आये। लोग अस्पतालों के सामने, अधिकारियों के दफ़्तरों के सामने, सोशल मीडिया पर एक-एक बेड की गुहार लगा रहे थे।
प्रियंका ने मौतों के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए आज यह भी कहा है कि कोरोना विजय की घोषणा कर चुकी सरकार इस मौके पर इतना भी नहीं कर पाई कि आरोग्य सेतु या किसी अन्य डाटाबेस पर सभी अस्पतालों में बेड की उपलब्धता का डाटा ही अपडेट कर दे। ताकि बेड के लिए इधर-उधर धक्के खा रहे लोगों को कुछ सहूलियत मिल सकती। लोग सरकार के सामने बेबस थे। कितनों ने अस्पताल के बाहर ही दम तोड़ दिया। इस दर्दनाक मंजर के पीछे सरकार की लापरवाही एवं दिशाहीनता की एक पूरी गाथा है। 2021 की शुरुआत में पीएम मोदी अपने बड़बोले, प्रचारमयी अंदाज में बार-बार कोरोना की जंग जीतने का एलान राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर करते रहे।
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इसके अलावा सितंबर 2020 में भारत में 24,7972 ऑक्सीजन बेड थे, जो 28 जनवरी 2021 तक 36 प्रतिशत घटकर 15,7344 रह गए। इसी दौरान आईसीयू बेड 66638 से 46 प्रतिशत घटकर 36,008 और वेंटीलेटर बेड 33,024 से 28 प्रतिशत घटकर 23,618 रह गए।
अपने पहले कार्यकाल में प्रधानमन्त्री मोदी ने हर जिले की मेडिकल सुविधा को अपग्रेड करने की घोषणा की थी। मगर 2021 तक देश के 718 जिलों में से मात्र 75 जिलों में इस पर काम शुरू हुआ है और अब संसद में बता दिया गया है कि इस योजना में आगे कोई काम नहीं होगा।
2014 में भाजपा सरकार ने 15 एम्स बनाने की घोषणा की थी। इसमें से एक भी एम्स आज सक्रिय अस्पताल के रूप में काम नहीं कर रहा है। 2018 से ही संसद की स्थाई समिति ने एम्स अस्पतालों में शिक्षकों एवं अन्य कर्मियों की कमी की बात सरकार के सामने रखी है, लेकिन सरकार ने उसे अनसुना कर दिया।
जुलाई 2020 में गृह मंत्री अमित शाह ने आइटीबीपी के एक अस्थायी मेडिकल सेंटर का उद्घाटन किया था, जिसमें 10,000 बेड्स की व्यवस्था थी। 27 फरवरी 2021 में ये सेंटर बंद हो गया। दूसरी लहर के दौरान इसे फिर से शुरू किया गया मगर सिर्फ 2000 बेड की व्यवस्था के साथ।