आरयू ब्यूरो, लखनऊ। अपनी मांगों के पूरे न होने पर एक बार फिर किसान संगठन ने विरोध के स्वर तेज कर दिए हैं। इसी क्रम में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) भी सक्रिय है और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड की जनता व सभी किसानों के नाम अपील जारी कर कहा सरकार से सवाल करे और विधानसभा चुनावों में किसान विरोधी भाजपा को सजा देना होगा।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने गुरुवार को बैठक की। इस बैठक के बाद किसान मोर्चा के सदस्यों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि विधानसभा चुनावों में किसान विरोधी बीजेपी को सजा देना होगा। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि बजट से बहुत उम्मीद थी, लेकिन नुकसान हुआ है। उत्तर प्रदेश में हमारा सभी से ये सवाल रहेगा, जो भी वोट मांगने आएंगे उनसे पूछेंगे कि उन्होंने किसानों के लिए क्या किया?
बीकेयू के नेता ने आगे कहा, ”एक पर्चा देंगे वोटर्स को, जिसमें कई सारे सवाल होंगे, सभी वोट मांगने वालों से उसमें हां या ना में जवाब लेंगे। उत्तराखंड में भी ये पर्चा लोगों को बांटेंगे जिसमें हमारे सवाल है। इसका जवाब वोट मांगने आए सभी से लेंगे। इन जवाबों के आधार पर वोटर खुद तय करेगा कि किसको वोट देना है?”
वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने ट्विटर पर खत को साझा किया है, जिसमें उन्होंने भी हस्ताक्षर किया है। किसान आंदोलन का एक सिपाही’ नाम से लिखे गए ओपन लेटर में कृषि कानूनों और लखीमपुर खीरी कांड के बारे में बताते हुए कहा गया है, ”हम किसानों के अपमान करने वाली भाजपा को सबक सिखाने के लिए आज मुझे आपकी मदद चाहिए।
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बीजेपी सरकार सच-झूठ की भाषा नहीं समझती, अच्चे-बुरे का भेद नहीं समझती, संवैधानिक और असंवैधानिक का अंतर नहीं जानती है। बस यह पार्टी एक ही भाषा समझती है-वोट, सीट, सत्ता।”
गौरतलब है कि केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसानों ने एक साल से अधिक समय तक दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाला था। सरकार द्वारा किसानों की मांग को मानने और छह अन्य पर विचार के लिए सहमति जताने के बाद विरोध प्रदर्शन को पिछले साल नौ दिसंबर को स्थगित करने का फैसला किया गया।