एयरटेल-VI को सुप्रीम कोर्ट से झटका, AGR की त्रुटियों में सुधार याचिका हुई खारिज

एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू

आरयू वेब टीम। करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये के एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) की देनदारी में राहत मांग रही टेलीकॉम कंपनियों की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टेलीकॉम कंपनी पिछले साल सितंबर में दिए आदेश का पालन करे।

कोर्ट ने तब इन कंपनियों को पूरी देनदारी चुकाने के लिए दस साल का समय दिया था। इसके बाद कंपनियों ने एजीआर की गणना में कमी बताते हुए दोबारा आकलन की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हुई सुनवाई में एजीआर बकाए के दोबारा आकलन की याचिका को खारिज कर दिया है।

बता दें कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) की बकाया रकम मामले पर टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत दी थी। जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने कोरोना वायरस महामारी की वजह से टेलीकॉम कंपनियों को करीब डेढ़ लाख करोड़ की एजीआर देनदारी चुकाने के लिए दस साल का समय दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस समय कहा था कि कुल देनदारी का दस फीसदी हिस्सा अगले साल यानी 2021 में 31 मार्च तक चुकाना होगा।

यह भी पढ़ें- पेगासस जासूसी मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, जांच व सॉफ्टवेयर की खरीद पर रोक लगाने की उठी मांग

2021 से 2031 तक सालाना किश्तों में एजीआर का भुगतान होगा। कोर्ट ने यह भी कहा था कि सालाना भुगतान न देने की स्थिति में ब्याज चुकाना होगा, अदालत की अवमानना की कार्रवाई हो सकती है. टेलीकॉम कंपनियों के एमडी और चैयरमैन को कोर्ट के आदेश के अमल को लेकर अंडरटेकिंग देनी होगी।

पिछले साल कोर्ट ने कहा था कि टेलीकॉम कंपनियां अगर 10 साल में भुगतान करने पर डिफॉल्ट करती हैं तो कंपनियों को ब्याज के साथ जुर्माना देना होगा। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और एमआर शाह की बेंच ने कहा था कि एजीआर भुगतान की टाइमलाइन एक अप्रैल 2021 से शुरू हो जाएगी और इसका पूरा भुगतान 31 मार्च 2031 तक होना चाहिए।

यह भी पढ़ें- राजद्रोह कानून के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, मोदी सरकार से पूछा, आजादी के 75 साल बाद भी कानून बनाए रखने की है जरूरत