आजम खान की सदस्यता क्यों की रद्द, SC ने यूपी सरकार व चुनाव आयोग से मांगा जवाब

आजम खान
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम। आजम खान ने अपनी विधायकी को अयोग्य ठहराने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले में सोमवार को कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी विधानसभा सचिव और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर विधानसभा की सदस्यता रद्द किए जाने की वजह पूछी है।

साथ ही न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने योगी सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद से आजम खान की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा और उनकी याचिका को चुनाव आयोग के स्थायी वकील पर तामील करने को कहा। इस मामले में बुधवार को सुनवाई होगी।

पीठ ने गरिमा प्रसाद से कहा, “उन्हें अयोग्य घोषित करने की इतनी जल्दी क्या थी? कम से कम आपको उन्हें सांस लेने का वक्त देना चाहिए था।” शुरुआत में, आजम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने कहा कि मुजफ्फरनगर जिले के खतौली से भाजपा विधायक विक्रम सैनी को भी 11 अक्टूबर को दोषी ठहराया गया था और दो साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन उनकी अयोग्यता के लिए कोई निर्णय नहीं लिया गया।

उन्होंने कहा, “इस मामले में तात्कालिकता यह है कि भारत का चुनाव आयोग दस नवंबर को रामपुर सदर सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा करते हुए गजट अधिसूचना जारी करने जा रहा है।” उन्होंने कहा कि सत्र न्यायालय के न्यायाधीश कुछ दिनों के लिए छुट्टी पर हैं और इलाहाबाद उच्च न्यायालय बंद है, इसलिए वह अपनी सजा के खिलाफ वहां नहीं जा सकते।

जिसपर पीठ ने प्रसाद से पूछा कि खतौली विधानसभा सीट के मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इसने मामले को 13 नवंबर को सुनवाई के लिए पोस्ट किया और प्रसाद से निर्देश लेने और अपना जवाब दाखिल करने को कहा। 27 अक्टूबर को, आजम खान को अभद्र भाषा के मामले में दोषी ठहराया गया था और रामपुर की एक अदालत ने तीन साल जेल की सजा सुनाई थी।

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2019 के मामले में रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने भी विधायक को जमानत दे दी है। 28 अक्टूबर को, उत्तर प्रदेश विधान सभा सचिवालय ने आजम खान को सदन से अयोग्य घोषित करने की घोषणा की थी, जिसके एक दिन बाद एक अदालत ने उन्हें घृणास्पद भाषण मामले में तीन साल जेल की सजा सुनाई थी। यूपी विधानसभा के प्रधान सचिव ने कहा था कि विधानसभा सचिवालय ने रामपुर सदर विधानसभा सीट को खाली घोषित कर दिया है।

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