भारतीयों के नाम अखिलेश का खुला पत्र, मोदी सरकार के साथ मीडिया पर भी बोला हमला

मिड डे मील
फाइल फोटो।

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को भाजपा सरकार के साथ ही मीडिया को निशाने पर लेते हुए भारतीयों के नाम खुला पत्र लिखा है। अखिलेश ने अपने पत्र मेें लिखा कि, “मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूं क्योंकि ढाई आदमी (टू एंड हाफ मैन) और मीडिया मिलकर इस देश को बर्बाद करना चाहते हैं। साथ ही यह भी लिखा कि इस देश का एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारे संप्रभु, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य की रक्षा करना मेरा भी कर्तव्य है।

लेटर में बंगाल में चल रहे घमासान का जिक्र करते हुए अखिलेश ने कहा कि आज बंगाल पर जो हमला हुआ है वह सिर्फ हमारे मूल्यों पर ही नहीं है बल्कि हमारे संविधान के संस्थापकों पर भी हमला है। क्‍योंकि भाजपा का संविधान में विश्‍वास नहीं है, इसलिए भाजपा और उसकी सहयोगी संस्था आरएसएस के सभी संस्थापकों ने संविधान का हमेशा विरोध किया है।

इंटरनेट बन चुका है टेररिस्ट सेल

इतना ही नहीं भाजपा सरकार पर उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए सपा मुखिया ने लिखा कि आज भाजपा हमारे युवाओं को चंद उद्योगपतियों के हाथों बेच रही है, ये वही उद्योगपति हैं जिन्हें फायदा पहुंचाने के लिए यह सरकार सारे नियम बनाती है। पिछले 45 सालों में बेरोजगारी अपने चरम पर है, जबकि अल्पसंख्यक वर्ग इस डर के साए में जी रहा है कि कब वह मॉब लिंचिंग का व भाजपा आइटी सेल द्वारा फैलाए जा रहे अफवाह का शिकार बन जाए, क्‍योंकि अब इंटरनेट टेररिस्ट सेल बन चुका है।

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सपा सुप्रीमो ने लेटर में यह भी लिखा कि पिछले 24 घंटों में इनका फॉर्मूले के साथ ही यह भी साफ हो गया है कि बीजेपी का लोकतंत्र में विश्‍वास नहीं है। जो लोग इनके साथ नहीं है, उनको सीबीआइ के चक्कर में फंसाओं। उन पर देशद्रोह का आरोप लगाओ। ऐसा करके ये लोग अगले 50 सालों तक राज करना चाहते हैं।

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पत्र में अखिलेश ने मोदी सरकार को ढाई आदमियों की सरकार करार दिया और लिखा है कि हमें इस देश को चलाने के लिए एक मजबूत आदमी चाहिए, पर हमारे प्रधानमंत्री में ऐसे कोई गुण नहीं हैं, जैसा कि इनके अपने मंत्री नितिन गड़करी ने कहा था “जो अपना घर नहीं चला सकता वह देश क्या चलाएगा”।

वहीं आगे यह भी लिखा है कि ममता बनर्जी पर हमला करके ये ढाई आदमी शायद अपने अतीत को भूल गए हैं। ये वो महिला हैं, जिन्हें ज्योति बसु के ऑफिस से बाल पकड़कर बाहर निकाला गया था, क्योंकि वे एक बलात्कारी को जेल भेजने की मांग कर रही थीं। ये वो महिला हैं जिन्होंने बंगाल से कम्युनिस्ट पार्टी को उखाड़ फेंका और जो किसानों के हित के लिए उद्योगपतियों के सामने डट कर खड़ी हो गईं थीं।

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