भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने की पार्टी के नाम की घोषणा, पार्टी की वजहें और रणनीतियां भी बताईं, सपा-बसपा के नेताओं का मिला साथ

आसपा
पार्टी के नाम की घोषणा करते चंद्रशेखर आजाद।

आरयू वेब टीम। कांशीराम की जयंती के मौके पर रविवार को भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी के नाम की घोषणा कर दी है। चंद्रशेखर ने अपनी पार्टी का नाम ‘आजाद समाज पार्टी’ (आसपा) रखा है। पार्टी के नाम की घोषणा के साथ ही इस मौके पर सपा, बसपा, कांग्रेस और आरएलडी के 98 नेताओं और कई पूर्व मंत्रियों ने ‘आजाद समाज पार्टी’ जॉइन की।

नोएडा में पार्टी के ऐलान के साथ ही चंद्रेशेखर ने कहा ”हमारे लोगों की नागरिकता छीनी जा रही है, आरक्षण छीना जा रहा है, षड्यंत्र हो रहे हैं। सड़क पर आंदोलन नहीं हो रहा है, इसलिए पार्टी बनाई है।” उन्होंने कहा कि समता मूलक समाज के लिए यह पार्टी बनाई है।

वहीं उन्‍होंने कहा कि  ”बहुजन समाज का दुर्भाग्य है कि राज्यसभा में सतीश चंद्र मिश्र और लोकसभा में रीतेश पांडेय हमारी बात रखते हैं, लेकिन वे विचारधारा से भटक गए हैं। उनके पीछे झंडा क्यों उठाएं। बीजेपी को रोकने के लिए सहयोग लेंगे। हम गरीबों और नौजवानों की बात करेंगे।”

वहीं चंद्रशेखर ने कहा कि ”आज कांशीराम जी का जन्मदिन है। आज ऐतिहासिक दिन है। एक दिन ASP का झंडा दिल्ली की गद्दी पर लहराएगा। हम कांशीराम के आदर्शों पर चलेंगे।

उन्होंने आज मीडिया से साफ तौर पर कहा कि ”मेरे बारे में थोड़ा जान लें, क्योंकि आंख बंद करके किसी के पीछे चलना गुलामी है। इससे हमें सबको आजाद करना है। मैं करोड़पति या सांसद, विधायक का बेटा नहीं, एक प्राइमरी अध्यापक का बेटा हूं। मायावती की ओर इशरा करते हुए उन्‍होंने आगे कहा कि मिशन एक से नहीं, बल्कि कैडर चलाता है। अपने अंदर कैडर पैदा करें। उन्होंने आगे कहा कि ”आरोप लगता है कि मिशन को तोड़ने के लिए आया हूं, जबकि मैं साफ कहता हूं कि भीम आर्मी न सहारे, न किसी के इशारे पर चलती है। मेरा व्यक्तिगत हित होता तो किसी पार्टी में शामिल होकर सांसद और विधायक बन गया होता। जब तक जिंदा हूं कांशीराम के मिशन को आगे ले जाऊंगा।

उन्होंने कहा कि आज बोलने की आजादी नहीं है, संविधान का पालन नहीं हो रहा। कुछ लोगों को मुझ पर शक हो सकता है पर जब ये मिशन आगे बढ़ेगा और हम प्रदेश सरकार और दिल्ली सरकार को झुकाएंगे तब इनको हम पर और हमारे मिशन पर भरोसा होगा। राज्यों में सीएम बनाओ, तब हमारा पीएम होगा. हमें मनुवादियों के वोट खैरात में नहीं चाहिए।”

अपनी पार्टी की रणनीति के बारे में चंद्रशेखर ने कहा कि, हम देश में राज करने के लिए पैदा हुए हैं, राज करेंगे। पूरे देश में पैदल, साइकिल, गाड़ियों से परिवर्तन यात्रा करेंगे। अब आंदोलन शुरू हो गया है। कोई स्वागत न करें, साथ दें, हाथ मजबूत करें। इस पार्टी में युवाओं को नेतृत्व मिलेगा। संविधान को पूर्ण रूप से लागू करना हमारी पार्टी का एजेंडा है। आप मुझे सिर्फ पांच साल दीजिएगा, 2024 दूर नहीं। दिल्ली की सत्ता को रोककर दिखाएंगे।”

 

प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि ”पीएम ने देश का बेड़ा गर्क किया। महंगाई, उत्पीड़न, पूंजीपतियों को मालिक और बहुजन को गुलाम बनाना इनका एजेंडा है। पीएम ने नीति आयोग का नाम बदला। पुराने अर्थशास्त्रियों को हटाकर बीजेपी के मंत्रियों और आरएसएस के लोगों को बिठा दिया।”

वहीं आज सुबह जब भीम आर्मी कार्यकर्ता कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने लगे, तो पुलिस की ओर से अनुमति ना होने की बात कहकर गेस्ट हाउस का ताला बंद कर दिया गया। हालांकि कुछ देर के लिए माहौल बिगड़ गया, लेकिन समझाने-बुझाने के बाद ताला खोलकर कार्यकर्ता हॉल में बैठ गए। बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देश के कई राज्यों से भीम आर्मी समर्थक आए।

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भीम आर्मी संगठन को राजनीतिक रुप देने के लिए चंद्रशेखर आजाद ने 15 मार्च की तारीख सोच समझकर तय की है। आज के दिन कांशीराम की जयंती है। कांशीराम बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक थे, जो कि 90 के दशक में देश में दलितों के प्रमुख नेता और चेहरा थे।

राजनीति विशेषज्ञों की माने तो चंद्रशेखर का यह कदम पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति हलचल पैदा करेगा और इससे एक नए समीकरण बनेगा। कहा जा रहा है कि चंद्रशेखर मायावती के लिए मुश्किल बन सकते हैं। मायावती कई बार आरोप लगा चुकी हैं कि चंद्रशेखर सत्ताधारी दल के इशारे पर काम कर रहे हैं। मायावती और चंद्रशेखर एक ही जाति से आते हैं। दोनों जाटव समाज से संबंध रखते हैं। जमीनी व संघर्षशील राजनीत करने के चलते चंद्रशेखर युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं।

भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर पहली बार सहारनपुर में हुई एक जातीय हिंसा के बाद चर्चा में आए थे। ठाकुरों और दलितों के बीच हुए संघर्ष में दलित समाज के युवाओं में चंद्रशखर लोकप्रिय बनकर उभरे थे। जो कि कांशीराम को ही अपना आर्दश मानते हैं।

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