भीमा-कोरेगांव हिंसा की बरसी पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात, इंटरनेट सेवा की गई बंद

भीमा-कोरेगांव हिंसा
भीमा-कोरेगांव विजय स्तंभ (फाइल फोटो।)

आरयू वेब टीम। 

बीते साल भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा को देखते हुए आज भीमा कोरेगांव की 201वीं बरसी के मौके पर क्षेत्र में कड़े सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। अनुसूचित जाति के लोगों द्वारा हर साल मनाए जाने वाले इस कार्यक्रम में पिछले साल हिंसा भड़क गई थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इस बार ऐसी कोई अप्रिय घटना न घटे उसके लिए न केवल भारी सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं, साथ ही इलाके में इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई है।

सुरक्षा की दृष्टि से आज पुणे और आसपास के इलाकों में पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। संबंधित इलाके में ड्रोन, सीसीटीवी कैमरे और करीब 5000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। साथ ही 520 पुलिस अधिकारी, 12 टुकड़िया एसआरपी की, 1200 होमगार्ड और 2000 स्वयंसेवक भी तैनात किए गए हैं। संवेदनशील इलाकों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है।

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बता दें कि हर साल एक जनवरी को अनुसूचित जाति के लोग यहां जश्‍न मनाने के लिए एकत्रित होते हैं। ये जश्‍न नए साल का नहीं बल्कि एक जनवरी, 1818 को हुए युद्ध में जीत को लेकर मनाया जाता है। 1818 में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की बड़ी सेना को हरा दिया था। पेशवा की सेना का नेतृत्व बाजीराव द्वितीय कर रहे थे। इस लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत को अनुसूचित जाति के लोग अपनी जीत मानते हैं। उनका कहना है कि इस लड़ाई में अनुसूचित जाति के साथ अत्याचार करने वाले पेशवा की हार हुई थी।

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अनुसूचित जाति के लोग हर साल एक जनवरी को विजय स्तंभ के सामने सम्मान प्रकट करते हैं। ये स्तंभ ईसट इंडिया कंपनी ने तीसरे एंगलो-मराठा युद्ध में शामिल होने वाले लोगों की याद में बनाया था। इस स्तंभ पर उन लोगों के नाम लिखे हैं जो 1818 की लड़ाई में शामिल हुए थे।

इसी कार्यक्रम में बीते साल हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और पूरे महाराष्ट्र में भारी प्रदर्शन हुए। जिसके बाद पुणे पुलिस ने अगस्त माह में हिंसा को लेकर नक्सलियों को समर्थन देने के आरोप में पांच वामपंथी विचारकों को गिरफ्तार किया गया। इस हिंसा की आवाज पूरे साल देश की राजनीति में भी गूंजती रही है।

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