आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लॉकडाउन के लंबे इंतजार के बाद घर लौटने की चाह में सड़कों पर जान गंवा रहें मजदूरों के प्रति शनिवार को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हमदर्दी जतायी है। अखिलेश ने आज 24 मजदूरों की जान लेने वाले औरैया सड़क हादसे के अलावा यूपी के अन्य सड़क दुर्घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा है कि मुसीबत के इस दौर में सपा मजदूरों के साथ है। सपा सभी मृतक के परिजनों को एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता करेगी।
शनिवार को अपने एक बयान में सपा अध्यक्ष ने योगी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि आपदा के समय अपने भाग्य पर छोड़ दिए गए मजदूर अपने परिवार की महिलाओं और मासूम बच्चों के साथ जिन दर्दनाक हालत से गुजर रहे हैं वह सबूत है भाजपा सरकार के मानवता विरोधी रवैये का। हजारों मील चलने से श्रमिकों के पैरों में छाले पड़ गए हैं, भोजन के भी लाले हैं। मासूम बच्चें धूप और भूख से तड़प रहे हैं। दम तोड़ते इंसानों के प्रति उत्तर प्रदेश की पुलिस और प्रशासन की इंसानियत भी मर चुकी है।
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अखिलेश ने आगे कहा कि ट्रकों में लाचार मजदूर ठसाठस भरें है, मुख्यमंत्री के निर्देश पर कि कोई ट्रकों पर नहीं चलेगा से पुलिस को अन्याय करने का, ठोकने का परमिट मिला हुआ है। सरकार ट्रकों को बंद कर रही है तो सरकार ने दस हजार से ज्यादा रोडवेज बसों द्वारा सुरिक्षत और सम्मानजनक तरीके से मजदूरों को गंतव्य स्थानों तक पहुंचाने में देरी क्यों की है?
कोरोना त्रासदी की सबसे ज्यादा मार झेल रहे प्रवासी मजदूरों का हाल बयान करते हुए अखिलेश ने कहा कि यूपी-एमपी सीमा पर झांसी में दस किलोमीटर जाम में मजदूरों के वाहन फंसे है। वहीं झांसी में ही आज श्रमिक पति-पत्नी पैदल पहुंचे थे तभी पत्नी को बच्चा पैदा हुआ जो मर गया, इसी दौरान पत्नी की भी मौत हो गयी और फिर सदमें के कारण पति की भी जान चली गयी।
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सपा अध्यक्ष ने आगे कहा कि ऐसा ही दर्दनाक हादसा उन्नाव में लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे पर भी हुआ है। ऑटो से बिहार जा रहे परिवार की टक्कर लोडर से हो गयी, इसमें दम्पत्ति की मौत हो गयी। उनका पांच वर्षीय बेटा अनाथ हो गया।
वहीं उत्तर प्रदेश के औरैया जनपद में सड़क हादसे में 24 से ज्यादा गरीब प्रवासी मजदूरों की मौत दिल दहला देने वाली घटना है। दो ट्रकों की टक्टर में लाशें बिछ गईं। सड़क खून से लाल हो गई, लेकिन औरैया में थानाध्यक्ष ने कफन का इंतजाम न कर शर्मनाक काम किया है। मुख्यमंत्री संवेदना प्रकट करने की औपचारिकता से कब तक काम चलाएंगे?
अखिलेश ने कहा कि इस दुख की घड़ी में सपा मजदूरों के साथ है। सपा प्रदेश के प्रत्येक मृतक परिवार को एक लाख रूपए की मदद पहुंचाएगीं हादसों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए भाजपा सरकार को मृतक आश्रितों को दस-दस लाख रूपए की आर्थिक मदद करनी चाहिए।
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अपनी रोजी-रोटी गंवाकर बेबसी और बदहाली में सिसकते हुए गरीबों की जान भी भाजपा सरकार में सस्ती हो गई है। इनकी जान बचाने में भाजपा सरकार नाकाम हैं। क्वारंटीन सेंटर गोंडा में सांप काटने से मौत पर व्यक्ति के परिजन को एक लाख की सपा द्वारा सहायत दी गयी है।
अखिलेश ने आज आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि मुख्यमंत्री की अक्षमता के कारण अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। सड़कों पर श्रमिकों की भीड़ है। सरकारी बसों में भी उनसे वसूली हो रही। कानपुर के काकादेव थाना क्षेत्र में भूख से बिलबिलाते बच्चे को देखकर एक व्यक्ति ने फांसी लगा ली। राहत कार्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर नाम मात्र की कार्यवाही हो रही है।
यह भी एक और अमानवीय कृत्य पुलिस का है। बरेली में फलों का ठेला से उठाकर 12 वर्ष के एक बच्चे को पुलिस ने डंडों से इतना मारा कि वह लहुलुहान हो गया, उसका हाथ भी टूट गया। इस बेरहम सरकार में पीड़ितों की सुनने वाला कोई नहीं। लॉकडाउन के 54 दिन के बाद भी हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री की टीम इलेवन के नियंत्रण के बाहर अराजकता व्याप्त है और सरकार चैन की बंसी बजाने में व्यस्त है।