आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। लोगों की अटकलों पर विराम लगाते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा सीट पर अपने एक कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाया है। वहीं आज बसपा की तरफ से पूर्व विधायक भीमराव अंबेडकर ने पर्चा दाखिल कर दिया है।
वहीं नामंकन करने पहुंचे अंबेडकर ने कहा कि 25 साल से हम बहुजन समाजवादी पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। मायावती के चरणों में रहकर उनके नेतृत्व में रहकर काम किया है। हम उनके सच्चे सिपाही हैं। हम अपनी जान न्यौछावर कर सकते हैं लेकिन देश में भगवा आतंक को पनपने नहीं देंगे।
इस दौरान उनके साथ मौजूद बसपा महसचिव सतीशचन्द्र मिश्र ने कहा कि चुनाव को गठबंधन से जोड़ कर नही देखा जाए। एक सवाल पर उन्होंने समर्थन के पीछे कोई डील होने से इंकार किया है। इंकार किया।
मायावती ने मंगलवार देर शाम जिस तरह से बीएसपी के पूर्व विधायक भीमराव अंबेडकर के नाम की घोषणा की, उसके बाद तमाम अंदाजों को विराम लग गया। बता दें कि उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की रिक्त सीटों के ऐलान के बाद से ही कभी खुद मायावती के राज्यसभा की दावेदारी तो कभी उनके भाई आनंद को राज्यसभा भेजने की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया था।
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वहीं बसपा सुप्रीमो की मायावती ने भीमराव आंबेडकर के नाम की घोषणा कर सबसे पहले अपने ऊपर लगने वाले आरोपों को धोया। अपने भाई आनंद के नाम की घोषणा ना करके परिवारवाद के आरोप को भी खत्म कर दिया।
गौरतलब है कि मायावती पर कुछ लोग यह भी आरोप लगा रहे थे कि बसपा किसी पूंजीपति को राज्यसभा भेज सकती है, लेकिन भीमराव अंबेडकर के नाम की घोषणा के बाद पूंजीपति के नाम पर भी विराम लग गया। भीमराव अंबेडकर 2007 में बसपा के टिकट पर विधायक रह चुके हैं। वह सामान्य बसपा कार्यकर्ता हैं और उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।
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