कांग्रेस का पलटवार, योगी सरकार में भ्रष्‍टाचार की भेंट चढ़ी प्राथमिक शिक्षा, स्‍कूलों में शिक्षकों की भारी कमी, CM कर रहें बयानों से वीर बनने का प्रयास

यूपी की प्राथमिक शिक्षा
फाइल फोटो।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। साल 2017 के पहले 60 प्रतिशत छात्र-छात्राओं के नंगे पैर विद्यालय जाने के सीएम योगी आदित्‍यनाथ के बयान पर विपक्ष नाराज हैं। सोमवार को एक लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्‍ठान में आयोजित सीएम के इस बयान को लेकर कांग्रेस ने पलटवार किया है। मंगलवार को कांग्रेस ने सीएम योगी पर निशाना साधते हुए कहा है कि योगी सरकार में यूपी की प्राथमिक शिक्षा भ्रष्‍टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। सरकारी स्‍कूलों में शिक्षकों की कमी होने की बात जगजाहिर होने समेत अन्‍य समस्‍याओं के बाद भी सीएम योगी अपने बयानों से वीर बनने में लगे हैं।

आज कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्‍ता डॉ. उमाशंकर पांडेय ने कहा कि आज यूपी के आज तमाम सरकारी विद्यालय एक शिक्षक के भरोसे चल रहें हैं। किसी-किसी विद्यालय में एक शिक्षक एक ही कमरें में, एक साथ दो कक्षाओं के विद्यार्थियों का पढ़ाने को मजबूर हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री द्वारा साल 2017 के पहले 70 फीसदी बच्चों के नंगे पैर स्कूल जाने की बात कहना उनका बड़बोलापन है और वह बयानों से वीर बनने का प्रयास कर रहें हैं।

योगी सरकार ने की शिक्षा के बजट में व्यापक कटौतियां

अपने बयान में उमाशंकर ने मीडिया से कहा कि लखनऊ में शिक्षकों के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने तमाम बड़ी-बड़ी बातें की, लेकिन जमीनी हकीकत उनके बयानों से भिन्न है। प्रदेश में शिक्षकों की भारी कमी है। आदर्श व्यवस्था के तहत एक शिक्षक के ऊपर 40 से अधिक बच्चों का बोझ नहीं होना चाहिए, बच्चों की संख्या 121 से 200 के बीच होने पर पांच शिक्षक बच्चों को पढ़ा सकते हैं, लेकिन शिक्षकों की व्यापक कमी के चलते यह महज एक सपना बनकर रह गया है। योगी सरकार ने बीच-बीच में शिक्षा के बजट में व्यापक कटौतियां भी की, वर्ष 2020-21 के शिक्षा बजट में 191 करोड़ रूपये की बड़ी कटौती की गयी थी। योगी सरकार द्वारा शिक्षकों की व्यापक कमी की हो रही आलोचनाओं के दबाव में आयोजित 69 हजार शिक्षकों की भर्ती भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी, और इससे संबंधित मामले भी कोर्ट में विचाराधीन हैं।

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नीचे से दूसरे नंबर पर पहुंचा यूपी

हमला जारी रखते हुए कांग्रेस प्रवक्‍ता ने कहा कि योगी जी के कार्यकाल के दौरान आयी एनसएओ (नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश देश में सबसे कम साक्षरता वाले राज्यों में नीचे से दूसरे स्थान पर है, जबकि मध्य प्रदेश नीचे से पहले स्थान पर है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भी उत्तर प्रदेश की साक्षरता दर की स्थिति कमोबेश यही थी। तब देश में साक्षरता की दृष्टि से यह प्रदेश 29 वें स्थान पर था।

बताएं कहां मिलेगा 12 सौ में…

साथ ही सवाल उठाते हुए उमाशंकर पांडेय ने कहा कि योगी आदित्‍यना ने प्रत्येक बच्चे को यूनिफार्म, जूता, मोजा, स्वैटर, स्कूल बैग एवं अन्य जरूरी सामान खरीदने के लिए 1200 रुपये आवंटित किया है, वह बताएं कि महंगाई के इस दौर में यह कैसे संभव है।

साथ ही यह भी आरोप लगाया कि योगी सरकार में प्राथमिक शिक्षा, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी है। जनपद मिर्जापुर के एक प्राथमिक सरकारी विद्यालय में मिड-डे मील के नाम पर बच्चों के नमक और रोटी खाने की खबर वॉयरल हुई थी। वहीं जनपद मुजफ्फरनगर में मीड-डे मील में मरा हुआ चूहा मिला था। जनपद सोनभद्र में एक लीटर दूध में बाल्टी भर पानी मिलाकर बच्चों को परोसने का मामले सामने आया। कई प्राईमरी स्कूल ऐसी खबरों में छाये रहे जहां परिसर में गाय बंधी है या कहीं चूड़ी की दुकान सजी हुई है। ऐसी सैकड़ों दुखद और शर्मनाक घटनायें समय-समय पर इस सरकार को आइना दिखाती रहीं हैं।

योगी सरकार में प्राथमिक शिक्षा विभाग ने भ्रष्टाचार के अनेक कीर्तिमान किये स्थापित

योगी सरकार में प्राथमिक शिक्षा विभाग ने भ्रष्टाचार के अनेक कीर्तिमान स्थापित किये। जिसमें सबसे शर्मनाक बच्चों के जूते-मोजे के वितरण में करोड़ों के घोटाले का मामला सुर्खियों में छाया था। उन्होंने सवाल करते हुए आगे कहा कि मुख्यमंत्री किसी एक न्याय पंचायत का नाम बतायें जहां पर स्थित सभी प्राथमिक विद्यालय मानकों के अनुसार संचालित किये जा रहें हैं।