कांग्रेस ने सीएम योगी के इंटरव्‍यू को बताया आचार संहिता का उल्‍लघंन, “कहा, कार्रवाई करने की जगह सो रहा चुनाव आयोग”

महासचिव दिनेश सिंह
ज्ञापन सौंपते कांग्रेस के नेता।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। भाजपा व सीएम योगी पर आचार संहिता का उल्‍लघंन करने का एक बार फिर आरोप लगा है। आचार संहिता लगने के बाद सूबे की राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर व हुसैनगंज समेत तमाम इलाकों के मुख्‍य मार्गों पर लगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्‍यनाथ व भाजपा की होर्डिंग को लेकर कुछ दिनों से लगातार सवाल उठ रहें हैं। इसी बीच सीएम योगी के एक इंटरव्‍यू को आचार संहिता का उल्‍लघंन बताते हुए कांग्रेस ने चुनाव आयोगी भूमिका पर भी सवाल उठाएं हैं। सोमवार को कांग्रेस ने कहा है कि आचार संहिता का उल्‍लघंन करने के मामले में भाजपा पर कार्रवाई करने की जगह चुनाव आयोग सो रहा है।

मुख्‍य निर्वाचन आयोग से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए यूपी कांग्रेस के महासचिव दिनेश सिंह ने कहा कि देश में सरकारी संस्थाएं दोहरा रवैया अपना रही हैं। यही चुनाव आयोग है, जिसने गुजरात चुनाव के वक्त राहुल गांधी के इंटरव्यू को चैनल पर टेलीकास्ट करने से रोक दिया था। तब चुनाव आयोग को जिस ‘‘जन प्रतिनिधित्व कानून 1951‘‘ की धाराएं याद आ रही थीं, अब उसी कानून की उन्हीं धाराओं को उसने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया इंटरव्यू और उसका प्रसारण आदर्श चुनाव आचार संहिता की परिधि में आता है, लेकिन 2017 में राहुल गांधी के इंटरव्यू को रोकने वाला चुनाव आयोग उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मतदान से एक दिन पहले या मतदान के ही दिन योगी-मोदी द्वारा अखबारों, चैनलों को दिए जा रहे साक्षात्कार पर सो रहा है। उन्होंने कहा कि हमने आयोग से आग्रह किया है कि आदर्श आचार संहिता को दृष्टिगत रखते हुए सीएम योगी के इंटरव्यू के प्रसारण पर तत्काल रोक लगाते हुए इस संबंध में कार्रवाई कर चुनाव की निष्पक्षता और सुचिता को बनाए रखें।

प्रदेश कांग्रेस महासचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश समेत देश के पांच राज्यों में दूसरे चरण का मतदान शुरू होने के कुछ ही मिनटों के अंदर कई टीवी चैनलों पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का इंटरव्यू लाइव दिखाया जाने लगा। इस इंटरव्यू में सीएम योगी ने सांप्रदायिक दंगों, धार्मिक उन्माद, हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण को लेकर बात की। सुबह सात बजे के बाद का वही समय होता है, जब लोग अपने घरों से मतदान के लिए निकलते हैं। ऐसे में स्पष्ट है कि सीएम योगी की मंशा कहीं न कहीं लोगों को बांटने और वोटों को प्रभावित करने की रही होगी। हिजाब का मामला, जो कि अभी कोर्ट में सुनवाई के अधीन है, उस पर भी सीएम योगी ने आपत्तिजनक टिप्पणियां की। उनके बोल थे- क्या मैं उत्तर प्रदेश के अंदर सभी कर्मचारियों को या सभी लोगों को बोल सकता हूं कि आप भी भगवा धारण करें? स्कूल में ड्रेस कोड लागू होना चाहिए। ऐसे में उनके तमाम भाषणों पर रोक लगनी चाहिए। उनके इंटरव्यू और भाषणों के टेलीकास्ट और मीडिया कवरेज पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए।

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कांग्रेस प्रवक्‍त ने हमला जारी रखते हुए कहा कि नफरत की राजनीति करने वाली भाजपा ने उत्तर प्रदेश को विकास के नाम पर जीरो दिया है। पोस्टर, बैनर और विज्ञापनों में सरकार अपने झूठे दावे कर जनता को गुमराह कर रही है, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि योगीराज में महिला, किसान, नौजवान सब परेशान हैं। इस सरकार में दलितों और महिलाओं का उत्पीड़न हुआ, किसानों को अपनी फसलें औने-पौने दामों में बेचनी पड़ी, डीजल के दामों से किसान परेशान हैं, खाद की किल्लत इस सरकार में सबसे ज्यादा रही है। बेरोजगारी के मामले में उत्तर प्रदेश का बुरा हाल है, भर्तियां रद्द हो रही हैं, पेपर लीक हो रहे हैं, लेकिन योगी अपने झूठे विज्ञापनों के सहारे यह जताने में लगी हुई है कि प्रदेश में सब ठीक है।

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वहीं इसस पहले आज चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन और मतदान के दिन सीएम योगी आदित्‍यनाथ के इंटरव्यू के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग को लेकर कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिला। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल द्वारा मुख्य निर्वाचन अधिकारी को दिए पत्र में कहा गया है कि दूसरे चरण के मतदान के दिन सीएम योगी का आधे घंटे का इंटरव्यू समाचार एजेंसी पर प्रसारित किया गया, जो तमाम न्यूज चैनलों ने लगातार प्रसारित किया, जबकि मतदान प्रक्रिया चालू थी। ऐसा ही दस फरवरी को पहले चरण के मतदान के दौरान हुआ, जब नौ फ़रवरी की रात पीएम मोदी ने इंटरव्यू दिया और दस फ़रवरी को भी चैनलों ने लगातार उसे प्रसारित किया।

इस मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग के पास गए उत्तर प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष और पूर्व विधायक सतीश अजमानी, प्रदेश कांग्रेस के महासचिव शिव पांडेय और विधि विभाग के उपाध्यक्ष मो.अनस खान समेत अन्‍य पदाधिकारी शामिल रहे।