आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। यूपी विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या नौकरी के मुद्दे पर योगी सरकार को घेरा। इस दौरान कांग्रेस ने प्रदेश में बेरोजगारी, शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी, उर्दू शिक्षकों की भर्ती नहीं करने व अनुदेशकों के मानदेय के अलावा अन्य मुद्दे को लेकर योगी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाएं।
सदन के दौरान विधानसभा के प्रश्न पहर और नियम 56 के अंतर्गत परिचर्चा में कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा कि पिछले दो सालों में सरकार ने कौशल विकास योजना के अंतर्गत 34,4433 बेरोजगारों को प्रशिक्षित किया, जिसमें 148608 बेरोजगारों को रोजगार हासिल हुआ है, जबकि प्रदेश में कुल 21 लाख 39 हजार आठ सौ 11 बेरोजगारों ने रोजगार कार्यालयों में पंजीकरण कराया है।
भाजपा का वादा याद दिलाते हुए अजय कुमार ने आगे कहा कि अपने लोक संकल्प पत्र में 70 लाख बेरोजगारों को रोजगार देने की बात कही थी और उसकी तुलना में अभी तक करीब दो साल में मात्र दो दशमलव एक दो प्रतिशत नौजवानों को ही रोजगार मिला है।
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा कि सरकार ने अनुदेशकों के मानदेय को बढ़ाकर 17 हजार रुपये प्रति माह करने का वादा किया था, लेकिन ये भी वादा अभी तक पूरा नहीं किया गया।
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उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा योगी सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक चार हजार उर्दू शिक्षकों की भर्ती नहीं की है। वहीं शिक्षक भर्ती में धांधली का आरोप लगाते हुए कांग्रेस विधान मंडल दल के नेता बोले कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद 72 हजार 8 सौ 25 शिक्षकों की भर्ती शुरू की गयी, लेकिन इस प्रक्रिया में भी अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की तीन हजार चार सौ 87 उत्तीर्ण महिला अभ्यर्थी दर-दर की ठोकर खा रही हैं, किंतु सरकार कोई कार्यवाही नहीं कर रही।
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बेरोजगारी की समस्या पर उन्होंने ये भी कहा कि देश में ग्रामीण क्षेत्र तथा शहरी क्षेत्र में क्रमशः 3.4 तथा 4.4 फीसदी बेरोजगारी दर है, जबकि उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र की बेरोजगारी दर 5.8 और शहरी क्षेत्र की बेरोजगारी दर 6.5 है, जो बहुत ही चिंताजनक है।
इस दौरान उन्होंने नोटबंदी के भी दुष्परिणाम गिनाते हुए कहा कि नोटबंदी से बंद और ठप्प पड़े लघु व कुटीर उद्योगों के कारण भी प्रदेश में बेरोजगारी में इजाफा हुआ है और गैर संगठित क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर कम हुए इसलिए सरकार को प्रदेश में नोटबंदी से हुए रोजगार क्षेत्र में नुकसान का आकलन करना चाहिए।