आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। सरकार बदली है, लखनऊ विकास प्राधिकरण की कार्यशौली नहीं यह बात एक बार फिर साबित हो गई। यही वजह है कि पांच दिन बीतने के बाद भी एलडीए ऑफिस के लेडीज वॉशरूम के बाहर मौजूद सीसीटीवी कैमरों को लगाने समेत सर्वर रूम में संदिग्ध युवक की मौजूदगी की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई करने की बात तो दूर एलडीए के अफसर अब तक कैमरों को ही नहीं हटवा सके हैं।
ढाई साल बीते आज तक नहीं लगाया डिस्प्ले
किसी विभाग में 90 सीसीटीवी कैमरे लगवाने के बाद उसका डिस्प्ले ही नहीं लगाया जाए यह बात शायद आज से पहले आप ने नहीं सुनी होगी, लेकिन यह कारनामा भी एलडीए के इंजीनियरों ने कर दिखाया है। सुरक्षा के दावे के साथ एलडीए की नई बिल्डिंग में करीब ढाई साल पहले सीसीटीवी कैमरे लगवाने के बाद आज तक इंजीनियरों ने उसका डिस्प्ले ही लगवाना जरूरी नहीं समझा। यह चौंकाने वाला खुलासा गुरुवार को एलडीए सचिव की सीसीटीवी कैमरे लगवाने वाले जेई प्रमोद तिवारी से हुई पूछताछ में हुआ।
जेई ने कहा अधिशासी अभियंता ने दी थी सर्वर रूम की चाभी
प्रमोद तिवारी ने बताया कि सीसीटीवी कैमरों के साथ ही नई बिल्डिंग के दूसरे काम भी निर्माण बिल्टेक नाम की फर्म को तत्कालीन वीसी राजीव अग्रवाल ने दिया था। जिसके बाद ‘निर्माण बिल्टेक’ ने एक दूसरी फर्म ‘मेसर्स स्पेक्ट्रम’ से सीसीटीवी कैमरा लगवाने के साथ ही अन्य काम कराए थे। उसके बाद ही अधिशासी अभियंत अवधेश तिवारी ने सर्वर रूम की चाभी मेसर्स स्पेक्ट्रम फर्म को दी थी। साथ ही संदिग्ध युवक की भी जेई ने पहचान करते हुए दावा किया कि युवक उसी फर्म का इंजीनियर अतिन कपूर था। जो शनिवार को किसी काम से वहां गया था।
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बता दें कि 23 जुलाई को ‘राजधानी अपडेट’ ने ‘सावधान लेडीज! आपके वॉशरूम पर है एलडीए इंजीनियरों की तीसरी आंख’ शीर्षक से न्यूज पोस्ट कर ये खुलासा किया था कि किस तरह से इंजीनियरों ने लेडीज वॉशरूम के बाहर सीसीटीवी कैमरें लगवाने के बाद किसी भी विभाग का हार्ट माने जाने वाले सर्वर रूम को अपनी प्राइवेट प्रापर्टी मानते हुए किसी अंजान को उसका मालिक बना दिया है।
मामला उठने के बाद एलडीए सचिव जयशंकर दूबे ने इसकी जांच कराकर कार्रवाई का दावा किया था, लेकिन अब तक ऐसा कुछ खास होता नहीं दिखाई दे रहा है। वहीं दूसरी ओर आज एलडीए वीसी प्रभु एन सिंह ने मामले के जांच की बात कही है।
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