आरयू वेब टीम।
मंदसौर में प्रदर्शन के दौरान हुई किसनों की मौत की जिम्मेदारी से बच रही मध्य प्रदेश सरकार ने आज मान ही लिया कि 6 किसानों की मौत पुलिस फायरिंग में ही हुई है। एमपी के गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने मीडिया से कहा कि मंगलवार को मंदसौर जिला स्थित पिपलिया मंडी में किसानों के प्रदर्शन के दौरान 6 किसानों की मौत पुलिस फायरिंग से हुई थी। हालांकि पोस्टमॉर्टम में किसानों के शरीर से मिली पुलिस की गोलियों के बाद सरकर के इंकार करने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है।
गृहमंत्री ने पुलिस को गोलियां चलाने की बात पर कहा कि इसकी न्यायिक जांच शुरू हो चुकी है कि पुलिस ने किसके कहने या भड़काने पर फायरिंग की थी। उस समय परिस्थितियां क्या थी।
इससे पहले पिछले दो दिनों से प्रदेश सरकार पुलिस फायरिंग से इनकार कर रही थी। पुलिस फायरिंग में 6 किसानों की मौत होने के साथ-साथ छह अन्य किसान घायल भी हुए थे। इसके चलते राज्य के पश्चिमी भाग में अपनी उपज का वाजिब दाम लेने सहित 20 मांगों को लेकर एक जून से आंदोलनरत किसान अब मध्य प्रदेश सरकार से बड़ी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हो गए हैं।
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बता दें कि घटना के कुछ समय बाद ही मंदसौर के तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह ने मीडिया के सामने दावा किया था कि पुलिस ने फायरिंग की बात से उनके सामने इंकार किया है। उन्होंने खुद भी फायरिंग का आदेश देने से इंकार किया था।
गृहमंत्री ने मीडिया से कहा है कि अब पश्चिमी मध्य प्रदेश में स्थिति शांतिपूर्ण है। हिंसा प्रभावित मंदसौर में रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की टुकड़ियों को तैनात किया गया है। जिले में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं।
पुलिस ने कहा कि मंदसौर के पिपलिया मंडी में आरएएफ की दो कंपनियों को भेजा गया है जहां मंगलवार को गोलीबारी में 6 किसानों की मौत हो गई थी। आरएएफ की एक कंपनी में करीब 100 कर्मी शामिल हैं।
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अधिकारियों ने बताया कि मंदसौर जिले के सभी उपमंडलों में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति की निगरानी करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी तैनात किया गया है। पश्चिमी मध्य प्रदेश में निषेधात्मक उपायों के बावजूद किसानों ने बुधवार को हिंसा और आगज़नी की, जिसने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने एक बड़ी चुनौती पेश की है और विपक्षी पार्टियों को मौका दिया है।