आरयू ब्यूरो
लखनऊ। काकोरी की हाजी कालोनी में मंगलवार की देर रात एटीएस की मुठभेड़ में मारे गए कथित आतंकी सैफुल्लाह के संरक्षक गौस मोहम्मद खान को आज एसटीएफ और एटीएस की टीम ने तेलीबाग के नह रपुल के पास से धर दबोचा।
गिरफ्तारी करने वाली टीम ने गौस उर्फ अंकल के पास से एक लैपटॉप बरामद किया है। सूत्रों के अनुसार कानपुर निवासी गौस के लैपटॉप से एटीएस को कई महत्वपूर्ण जानकारी हाथ लगी है। बता दें कि पैसेंजर ट्रेन ब्लास्ट के मामले में एटीएस गौस की सरगर्मी से तलाश कर रही थी।
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गौस न सिर्फ आईएसआईएस के खुरसान मॉडयूल का सरगना है, बल्कि वायु सेना से भी अवकाश प्राप्त है। सरगना के मिलने के बाद अब इस मामले की परत दर परत खुलने की उम्मीद है।
दूसरी ओर गौस के पकड़े जाने के बाद उसके दोनों बेटों फैजान और आदिल ने मीडिया से कहा कि जो देश का दुश्मन है, वह हमारा दुश्मन है। वैसे भी गौस दो साल से कहा रह रहे थे। इसकी जानकारी उन लोगों को भी नहीं थी।
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कानून जो चाहे उनको सजा दे। अमीनाबाद में जूते चप्पल की दुकान चलाने वाले दोनों भाई रोज कानपुर स्थित अपने घर से लखनऊ आते है।
एसटीएफ-एटीएस की छानबनी में यह भी सामने आया है कि शातिर गौस इनकाउंटर के वक्त हाजी कालोनी में ही मौजूद था। इस दौरान उसने अपनी आंखों से एटीएस कमांडों की कार्रवाई देखी थी।
गौस को गिरफ्तार करने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले एसपी एसटीएफ शाहब रशीद खान ने बताया कि सैफुल्लाह के मारे जाने के बाद उसके साथी फैसल ने एटीएस को गौस के बारे में जानकारी दी थी।
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गौस कथित आतंकियों के ग्रुप के सदस्यों की आर्थिक सहायता करने के साथ ही ट्रेनिंग भी देता था। इसके साथ ही गौस ने ही सैफुल्लाह को कमरा दिलाने में सहायता करने के साथ ही उसको जरुरी सामाना भी दिलवाया था।
पूछताछ में गौस ने एसटीएफ को बताया कि 1978 में वायु सेना में एसी के पद से नौकरी प्रारम्भ की थी। मद्रास में प्रशिक्षण के बाद विभिन्न राज्यों में नौकरी की। 1993 में सीपीएल के पद पर पदोन्नत होकर वीआरएस ले लिया था। वर्तमान में वह वायु सेना से पेंशन भी प्राप्त कर रहा है।
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पिछले तीन सालों से वह अपना परिवार कानपुर में छोड़कर बालागंज के रस्तोगी नगर लखनऊ में किराये का मकान लेकर रह रहा था।
वहीं दूसरी ओर कथित आतंकियों को असलहा सप्लाई करने वाले फैसल को भी आज एटीएस ने गिरफ्तार करने में सफलता पाई है। एटीएस फिलहाल दोनों से पूछताछ कर रही है।