हिजाब के विरोध प्रदर्शन से दबाव में ईरान सरकार, मोरैलिटी पुलिस विभाग किया खत्म

हिजाब प्रदर्शन
फाइल फोटो।

आरयू इंटरनेशनल डेस्क। 16 सितंबर को तेहरान में सलीके से हिजाब नहीं पहनने पर महसा अमीनी की हिरासत में मौत के बाद पूरे ईरान में विरोध प्रदर्शन की आंधी से आई हुई है। ईरान सरकार ने विरोध को दबाने के लिए सशस्त्र बलों को खुली छूट दी, लेकिन विरोध प्रदर्शन थमने का नाम ही नहीं ले रहे। ऐसे में दबाव में आई ईरान सरकार ने हिजाब कानून को कड़ाई से लागू करने वाली नैतिकता पुलिस विभाग खत्म कर दिया है।

साथ ही दशकों पुराने उस कानून की समीक्षा कर रही है, जिसमें महिलाओं को घर से बाहर निकलने पर अपना सिर ढकने की जरूरत होती है। गौरतलब है कि कुर्द मूल की 22 वर्षीय ईरानी युवती महसा को नैतिकता पुलिस ने कथित रूप से शरिया आधारित हिजाब कानून का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उसके परिजनों का आरोप है कि हिरासत में उसके साथ की गई मार-पीट से उसकी जान गई। इसके बाद हिजाब विरोधी प्रदर्शन के तहत ईरानी महिलाओं ने अपने स्कार्फ जला दिए और सरकार विरोधी नारेबाजी की। महसा की मौत के बाद तेहरान के उत्तरी इलाके में रहने वाली फैशनेबल महिलाओं और युवतियां हिजाब नहीं पहनकर विरोध जता रही हैं।

अब ईरान के अटार्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंटेजेरी ने कहा है, ‘संसद और न्यायपालिका दोनों इस मुद्दे पर काम कर रही हैं कि क्या हिजाब कानून में किसी बदलाव की जरूरत है या नहीं।’ रिपोर्ट के मुताबिक अटार्नी जनरल ने, हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया है कि संसद और न्यायपालिका कानून में क्या बदलाव करेंगी।

वहीं ईरान की संसद और न्यायपालिका में कट्टर और रूढ़िवादी इस्लामिक नेताओं का ही दबदबा है। इसके बावजूद अटार्नी जनरल के मुताबिक विगत दिनों समीक्षा दल ने संसद के सांस्कृतिक आयोग से मुलाकात की है। इसके परिणाम एक-दो सप्ताह में देखने को मिल जाएंगे। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने टीवी पर प्रसारित बयान में कहा, ‘ईरान का गणतंत्र और इस्लामिक नींव संवैधानिक रूप से मजबूत है, लेकिन संविधान को लागू करने के तरीके थोड़े लचीले हो सकते हैं।’

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बता दें कि इस्लामिक क्रांति के चार साल बाद अप्रैल 1983 में ईरान में सभी महिलाओं के लिए सिर को पूरी तरह से ढंकने वाला हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया था। इस इस्लामिक क्रांति ने अमेरिका समर्थित राजशाही को उखाड़ फेंका था। समय के साथ-साथ हिजाब को लेकर अलग-अलग बातें उठने लगीं और यह एक संवेदनशील मुद्दा बन गया। रूढ़िवादी जोर देते हैं कि हिजाब अनिवार्य होना चाहिए, जबकि सुधारवादी इसे व्यक्तिगत पसंद पर छोड़ना चाहते हैं। हिजाब कानून के अनिवार्य होने के बाद महिलाओं के कपड़े पहनने का अंदाज भी बदल गया। ईरान की महिलाएं जींस और ढीले रंगीन हेडस्कार्व्स से सिर ढंके सार्वजनिक स्थानों पर देखी जाने लगीं।

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