सवा चार साल बाद मायावती ने एमएच खान व फैजान को फिर बनाया BSP का प्रवक्‍ता, पिछली बार नसीमुद्दीन इस बार आजम तो नहीं वजह

मायावती की मां का निधन
बसपा सुप्रीमो मायावती। (फाइल फोटो)

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुछ महीने ही बाकी रह गए है, ऐसे में राजनीतिक पार्टियों ने भी अपनी रणनीति बनानी तेज कर दी है। इस क्रम में बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी का मजबूती से पक्ष रखने वाले एमएच खान व फैजान खान को 51 महीनों बाद एक बार फिर से बसपा का आधिकारिक रूप से प्रवक्‍ता घोषित कर दिया है।

दोनों ही नेताओं को दूसरी बार जब मायावती ने सोमवार को महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी दी तो बसपा सुप्रीमो के इस फैसले के बाद तरह-तरह की चर्चा होनीं भी शुरू हो गयीं, हालांकि आज मायावती ने बसपा के एक अन्‍य नेता धर्मवीर चौधरी को भी बीएसपी का प्रवक्‍ता घोषित किया है।

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तीन में से दो मुस्लिम समाज के प्रवक्‍ता घोषित किए जाने के मायावती के फैसले को लोग करीब 51 महीना पहले घटित एक राजनीतिक घटना से जोड़कर भी देख रहें हैं। यहां बताते चलें कि मई 2017 में बसपा से निकाले जाने के बाद जब बीएसपी के तत्‍कालीन कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी मायावती पर गंभीर आरोप लगा रहे थे, उस समय पहली बार मायावती ने अपनी पार्टी के इन्‍हीं दोनों नेताओं को प्रवक्‍ता घोषित करते हुए मीडिया के तीखे सवालों का जवाब देने के लिए आगे कर दिया था, हालांकि कुछ दिनों में ही नसीमुद्दीन सिद्दीकी का मामला ठंडा होते ही एमएच खान व फैजान खान से पार्टी के मेन बॉडी के प्रवक्‍ता की जिम्‍मेदारी हटा ली गयी थी।

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वहीं सवा चार साल के लंबे अंतराल के बाद यूपी चुनाव से पहले एक बार फिर से एमएच खान व फैजान को ही प्रवक्‍ता विहीन चल रही बसपा का प्रवक्‍ता बनाए जाने के मायावती के फैसले को लोग सपा के संस्‍थापक सदस्‍य व सांसद आजम खान को लेकर मुस्लिम समाज के बड़े वर्ग की समाजवादी पार्टी से नाराजगी से जोड़कर भी देख रहें हैं।

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समझा जा रहा है कि अपने इन्‍हीं अल्‍पसंख्‍यक वर्ग के प्रवक्‍ताओं को मायावती नाराज चल रहे मुस्लिम मतदाताओं को सपा से अपने पाले में लाने की जिम्‍मेदारी देंगी, हालांकि मायावती की कांग्रेस व सपा के मुकाबले भाजपा के प्रति बेहद कम कटुता को देखते हुए दोनों प्रवक्‍ता कितने कामयाब होंगे यह विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद ही साफ हो सकेगा।

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