जब देशहित के लिए काम करते हैं तो झेलना पड़ता है काफी गुस्सा: प्रधानमंत्री

देशहित
कार्यक्रम में बोलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

आरयू वेब टीम। नागरिकता संशोधन कानून पर देश में हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि देश के लिए काम करने में काफी गुस्सा झेलना पड़ता है, कई लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ती है इसके अलावा कई आरोपों से गुजरना पड़ता है।

प्रधानमंत्री ने ये बात एसोचैम के कार्यक्रम में अर्थव्यवस्था, जीएसटी और ईज ऑफ डूइंग की रैंकिंग को लेकर कही। उन्‍होंने कहा 70 साल की आदत बदलने में समय लगता है, लेकिन देश के लिए करना पड़ता है। बहुत लोगों का गुस्सा सहना पड़ता है। आरोप झेलने पड़ते हैं। देश को संकटों से मुक्ति दिलाने का अभियान लगातार जारी है, लेकिन ये सब इतना आसान नहीं होता है।

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एसोचैम के वार्षिक सम्मेलन में पीएम ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में एफडीआइ का प्रवाह बढ़ा है और मेरे पास एफडीआई के दो अर्थ हैं। एक को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में जाना जाता है और दूसरा मुझे ‘फर्स्ट डेवलप इंडिया’ कहा जाता है। उन्होंने कहा कि पांच-छह साल पहले हमारी अर्थव्यवस्था आपदा की ओर बढ़ रही थी, हमारी सरकार ने इसे न केवल स्थिर किया, बल्कि इसके लिए अनुशासन लाने के प्रयास किए। हमने उद्योग की दशकों पुरानी मांगों को पूरा करने पर ध्यान दिया है।

नरेंद्र मोदी ने कहा, “मैं आज बैंकिंग क्षेत्र और कॉर्पोरेट क्षेत्र से जुड़े लोगों को आश्‍वस्त करना चाहता हूं कि हम पहले की कमजोरियों को नियंत्रित करने में एक हद तक सफल रहे हैं। इसलिए बिना किसी संकोच के निर्णय लें, निवेश करें और खर्च करें।” मोदी ने आगे कहा कि जब आप दिन-रात मेहनत करते हैं, तो जमीन से शुरू होकर, जब आप कठिन परिश्रम करते हैं, तो आप ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग पर चढ़ जाते हैं।

हमने अर्थव्यवस्था के अधिकांश क्षेत्रों को औपचारिक रूप देने की कोशिश की है। हम अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने और गति बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करके भी आगे बढ़ रहे हैं।

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