अखिलेश का आरोप, “बाढ़ ने मचाई तबाही, मुख्‍यमंत्री कर रहें जिलाधिकारियों के साथ बैठक की खानापूर्ति”

अखिलेश यादव
फाइल फोटो।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश के विभिन्‍न जिलों में बाढ़ के कहर के बीच सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने सीएम योगी आदित्‍यनाथ पर हमला बोला है। बुधवार को अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में गांव बेहाल है। कई जनपदों में नदियों में उफान से गांव के गांव डूब गए हैं, फसलें बर्बाद हो गई हैं। इससे पहले किसान ओलावृष्टि, अतिवृष्टि का शिकार हो चुका है, उसे अपनी चौपट फसलों का अभी तक मुआवजा भी नहीं मिला है। पशुधन का नुकसान अलग से हुआ है। जब चारों ओर बाढ़ से तबाही मच गई है तब मुख्यमंत्री जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर महज औपचारिकता निभाने की खानापूर्ति कर रहे हैं।

अखिलेश ने कहा कि यूपी में बाढ़ के कारण हजारों हेक्टेयर जमीन में लगी करोड़ों की फसल बर्बाद हो गई है। दर्जनों मौतें हो चुकी है। पलियाकलां (लखीमपुर खीरी) में शारदा नदी, तूतीपार (बलिया) एलगिन ब्रिज और अयोध्या में सरयू (घाघरा नदी) खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। लोग बंधों और सड़क के किनारे शरण लेकर पड़े हैं। उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है। सरकार से कोई राहत नहीं मिल पा रही है। न मिट्टी का तेल, न खाने पीने की सामग्री, नहीं दवाएं और सिर छुपाने के लिए प्लास्टिक या तिरपाल भी मुहैया नहीं कराया जा रहा है।

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हमला जारी रखते हुए अखिलेश ने कहा कि बहराइच के 85 गांवों में पानी भरा है। 25 दिनों से बाढ़ग्रस्त इलाकों में लोग फंसे हुए हैं। किसान कहते हैं कि पशुओं के चारे में सांप छुपे बैठे हैं, इसलिए पशुओं को भी चारा नहीं दे पा रहे है। बाराबंकी के गणेशपुर चहलारी घाट तटबंध पर 55 वर्षीय पिता 12 साल के बेटे को बचाने में नदी में डूब गया। पीएसी की फ्लड कम्पनी से मदद मांगने पर जवाब मिला, स्टीमर में तेल नहीं है। बाराबंकी में खेत-खलिहान सब जलमग्न है। राहत में सड़े आलू दिए गए हैं। गाजियाबाद में पानी पुलिस चैकी तक में घुस गया। हापुड़ में 30 किलोमीटर तक पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। श्रावस्ती में राप्ती नदी उफान पर है।

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अखिलेश ने अंत में आज मीडिया से कहा कि नगरों व उपनगरों में हालात कमोबेश ऐसे ही है। जलभराव और घरों में पानी से बीमारियों का खतरा उत्पन्न हो गया है। इस सबसे सरकार बेपरवाह है। भाजपा का एजेण्डा पीड़ितों से दूर ही दूर रहता है। गांवों की बदहाली में भी भाजपा सरकार अपना राजनीतिक स्वार्थ साधन करने से नही चूक रही है। यह संवेदनशून्यता की पराकाष्ठा है।