आरयू ब्यूरो, लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय के लेख पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि देश में नए संविधान की वकालत करना उनके अधिकार क्षेत्र का खुला उल्लंघन है, जिसका केंद्र सरकार को तुरंत संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए।
मायावती ने ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर कहा कि आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय द्वारा अपने लेख में देश में नए संविधान की वकालत करना उनके अधिकार क्षेत्र का खुला उल्लंघन है जिसका केंद्र सरकार को तुरन्त संज्ञान लेकर जरूर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि आगे कोई ऐसी अनर्गल बात करने का दुस्साहस न कर सके।
वहीं अपने दूसरे पोस्ट में बसपा सुप्रीम ने कहा कि देश का संविधान इसकी 140 करोड़ गरीब, पिछड़ी व उपेक्षित जनता के लिए मानवतावादी एवं समतामूलक होने की गारण्टी है, जो स्वार्थी, संकीर्ण, जातिवादी तत्वों को पसंद नहीं और वे इसको जनविरोधी व धन्नासेठ-समर्थक के रूप में बदलने की बात करते हैं, जिसका विरोध करना सबकी जिम्मेदारी।
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गौरतलब हो कि आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने लिखा था कि हमारा मौजूदा संविधान काफी हद तक 1935 के भारत सरकार अधिनियम पर आधारित है। 2002 में संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए गठित आयोग की एक रिपोर्ट आई थी, लेकिन यह आधा-अधूरा प्रयास था। कानून में सुधार के कई पहलुओं की तरह यहां और दूसरे बदलाव से काम नहीं चलेगा।
लेख में आगे कहा गया है कि हमें पहले सिद्धांतों से शुरुआत करनी चाहिए जैसा कि संविधान सभा की बहस में हुआ था। 2047 के लिए भारत को किस संविधान की जरूरत है?