आरयू ब्यूरो, लखनऊ। कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए लागू किए गए 21 दिनों के लॉकडाउन के बीच पुलिस समेत कुछ लोग अज्ञानता व झूटी वाह-वाही के लिए गरीबों व जरूरतमंदों को राहत सामग्री (आटा, चावल, दाल व अन्य सामान) देते हुए उनकी फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर वायरल कर रहें हैं। ऐसी स्थिति में अब लोग जरूरत होने के बावजूद झूटी वाह-वाही के भूखों से बचने के लिए राहत सामग्री लेने से कतराने लगे हैं।
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ऐसे में यूपी पुलिस सहायता केंद्र 112 मुख्यालय के एडीजी असीम अरुण ने एक नजीर पेश करते हुए पुलिस कमिश्नर लखनऊ व नोएडा के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों के पुलिस कप्तानों को निर्देश दिया है अपने मातहतों के निर्देश दें कि पुलिस जरुरतमंदों को राहत सामग्री देते समय उनकी फोटो न खीचे।
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एडीजी असीम अरुण का कहना है कि पुलिस रिस्पांस व्हीकल (पीआरवी) द्वारा राहत सामग्री पहुंचाते समय संबंधित व्यक्ति का फोटो खींचा जा रहा। जो सोशल मीडिया तक भी पहुंच जाती है। यह भी पता चल रहा है कि इसके चलते अब जरुरतमंदों लोग अपना चेहरा सार्वजनिक होने के डर से राहत सामग्री लेने से भी कतरा रहें हैं। निजी मर्यादा को देखते हुए उनका ऐसा करना स्वाभाविक भी है।
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एडीजी ने पुलिस कमिश्नर व पुलिस कप्तानों से कहा है कि अपने जनपदों में संचालित पीआरवी टीम को निर्देश दे कि जरुरतमंदों को राहत सामग्री देते समय उनकी फोटो न खीचें। साथ ही इस तरह की कोई भी फोटो सोशल मीडिया पर भी अपलोड न करें।
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उल्लेखनीय है कि 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान खासकर उन लोगों के सामने आर्थिक समस्या का संकट खड़ा हो गया है। जिनका घर रोज की कमाई से चलता था। ऐसे में आम जनता, सरकार, राजनीतिक पार्टियां, पुलिस, एलडीए समेत दूसरी सरकारी विभाग, सामाजिक संस्थाएं व अन्य गरीबों व जरुरतमंदों में राशन, खाना, पानी व अन्य जरूरी सामान बांटकर उन्हें राहत पहुंचा रही है।
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वहीं इनमें से ही कुछ लोग बेशर्मी दिखाते हुए मासूम बच्चों समेत अन्य को राहत सामग्री देने के दौरान उनकी फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहें हैं। दूसरी ओर इसे गरीबों व जरुरतमंदों का मजाक बनाने की बात कहते हुए अब बड़ी संख्या में बुद्धजीवी वर्ग के लोगों ने इसका सोशल मीडिया व अन्य जगाहों पर विरोध शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में एडीजी असीम अरूण ने अपने एक आदेश से सरकारी विभाग की ओर से नई पहल की है।