आरयू ब्यूरो, लखनऊ। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान मचे उत्पात की निंदा की और इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। साथ ही बसपा सुप्रीमो ने केंद्र सरकार को मामले को गंभीरता से लेने की सलाह देने के साथ ही केंद्र सरकार से कानून वापस लेनी की दोबारा अपील की है।
मायावती ने आज अपने सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से ट्वीट कर कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में कल गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की हुई ट्रैक्टर रैली के दौरान जो कुछ भी हुआ, वह कतई भी नहीं होना चाहिए था। यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण तथा केंद्र की सरकार को भी इसे अति-गंभीरता से जरूर लेना चाहिए।
वहीं अपने दूसरे ट्वीट में मायावती ने कहा कि, बीएसपी की केंद्र सरकार से पुनः यह अपील है कि वह तीनों कृषि कानूनों को अविलंब वापिस लेकर किसानों के लंबे अरसे से चल रहे आंदोलन को खत्म करे ताकि आगे फिर से ऐसी कोई अनहोनी घटना कहीं भी न हो सके।
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बता दें कि इससे पहले मंगलवार को बसपा सुप्रीमो ने अपने बयान में कहा था कि राजनीति से परे रहते हुए पूर्ण रूप से देशहित में रखी गई कृषि कानूनों को वापस लेने की बीएसपी की बात केंद्र सरकार अगर मान लेती तो गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड और पुलिस से किसानों के संघर्ष की जो एक नई परंपरा की शुरुआत हो गई है उसकी नौबत ही नहीं आती। यह किसानों के प्रति भी सरकार की असंवेदनशीलता नहीं तो और क्या है?
मायावती ने कहा था कि देश में करोड़ों गरीब, मजदूर व अन्य मेहनतकश समाज के लोग असंगठित तौर पर बदहाल जीवन जीने को मजबूर हैं किन्तु देश का किसान समाज सरकारी तंत्र के माध्यम से अब और ज्यादा बदहाल जीवन जीने को कतई तैयार नहीं लगता है और इसी लिए आज गणतंत्र दिवस पर ’ट्रैक्टर परेड’ कर रहा है।
अपने बयान में मायावती ने ये भी कहा था कि सरकार गणतंत्र दिवस अवश्य मनाएं लेकिन ’गण’ की भी सही चिन्ता जरूर करे तभी देश की गणतंत्र का आपेक्षित मान-सम्मान बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस को रसम अदाएगी के तौर पर मनाने के बजाए देश की आमजनता में से खासकर करोड़ों गरीबों, कमजोर तबकों, मजदूरों, किसानों, छोटे व्यापारियों व अन्य मेहनतकश लोगों ने पिछले वर्षों में वास्तव में अपने जीवन में क्या पाया व क्या खोया इसके आकलन व समीक्षा करने की जिम्मेदारी भी निभानी चाहिए।