आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। लोकसभा चुनाव करीब आता देख मायावती ने उसकी तैयारियां तेज कर दी है। एक ओर परिवारवाद पर विरोधियों को जवाब देते हुए शनिवार को बसपा सुप्रीमो ने अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से हटा दिया है, तो दूसरी ओर उन्होंने अपने कई विश्वसनीय नेताओं को बसपा में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है, साथ ही बसपा के प्रदेश अध्यक्ष को भी बदलने के अलावा पहली बार दो नेशनल कोआर्डिनेटरों को बसपा में नियुक्त करने की भी आज घोषणा की है।
बसपा के सत्ता से बाहर होने के बाद से प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार संभाल रहें पूर्व मंत्री रामअचल राजभर को मायावती ने राष्ट्रीय महासचिव घोषित किया है, जबकि अब बसपा प्रदेश अध्यक्ष के कुर्सी की जिम्मेदारी पूर्व एमएलसी आरएस कुशवाहा को देने का ऐलान किया है। आरएस कुशवाहा पूर्व विधायक और एमएलसी रहे हैं। बसपा इन्हें रायबरेली से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा चुकी है। बीच में जब-जब राजभर को हटाए जाने की चर्चा छिड़ी, कुशवाहा का नाम सबसे आगे रहा है।
माल एवेन्यु स्थित अपने आवास पर बुलाए गए राष्ट्रीय अधिवेशन में मायावती ने आज देशभर से आए बसपा के पदाधिकारियों को अगामी लोकसभा समेत उन्य चुनाव व उपचुनाव के बारे में भी विशेष सावधानी बरतने का निर्देश दिया। वहीं इस दौरान यूपी की पूर्व सीएम भाजपा सरकार पर भी निशान साधने से नहीं चूंकी। लोकसभा व अन्य चुनाव में दूसरी पार्टियों से गठबंधन को लेकर भी आज मायावती ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि अगर सम्मानजक सीटें गठबंधन के दौरान मिली तो वह इसके लिए तैयार होंगी नहीं तो बसपा अकेले ही चुनाव लड़ेगी।
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अधिवेशन में मायावती ने परिवारवाद के आरोपों और बसपा की नीतियों पर विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए कहा कि जो भी बसपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेगा उसके जीते-जी व उसके ना रहने के बाद भी उसके परिवार के किसी सदस्य को पार्टी संगठन में पद पर नहीं रखा जाएगा। उसके परिवार के सदस्य बिना किसी पद के एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में निस्वार्थ भाव से कार्य कर सकते हैं।
भाई को बसपा उपाध्यक्ष पद देने से लेने की बीच की बात करते हुए मायावती ने कहा कि यूपी विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी के लोगों के आग्रह पर उन्होंने छोटे र्भाइ आनन्द कुमार को पार्टी में पद दिया था, लेकिन कुछ समय के बाद ही कांग्रेस व अन्य पार्टियों की तरह ही बीएसपी में भी परिवारवाद को बढ़ावा देने की मीडिया में काफी खराब खबरें आनी शुरू हो गई। साथ ही जो लोग स्वार्थ में पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों में चले गए थे वह भी सवाल उठाने लगे। साथ-साथ मेरे अन्य रिश्तेदार और पार्टी के दूसरे लोग भी स्वार्थ में बसपा में पद की मांग करने लगे थे। ऐसी स्थिति को जानते हुए आनंद ने खुद ही पद से हटने और पहले की तरह बिना पद के ही बसपा की सेवा करने की इच्छा जाहिर की थी।
मीडिया पर भी उठाया सवाल
अधिवेशन में मीडिया पर भी सवाल उठाते हुए मायावती ने कहा कि विरोधी पार्टी चुनाव आते ही मीडिया व अन्य हथकंडों के अलावा विभिन्न प्रकार की झूठी अफवाह फैला सकता है, जिससे सचेत रहने की जरूरत है। वहीं वोटों को बांटने के लिए भी कुछ बिकाऊ दलित, मुस्लिम व आदिवासी नेताओं को भी विरोधी पार्टी चुनाव में खड़ा कर सकती है, इस पर भी खास ध्यान देने की जरूरत है।
इनके पास होगी ये जिम्मेदारी-
वीर सिंह एडवोकेट- नेशनल कोऑर्डिनेटर,
जय प्रकाश सिंह – नेशनल कोऑर्डिनेटर,
आरएस कुशवाहा- प्रदेश अध्यक्ष यूपी,
सतीश चंद्र मिश्रा – राष्ट्रीय महासचिव, लीगल वर्क व अपरकास्ट समाज को जोड़ने की जिम्मेदारी
राम अचल राजभर- राष्ट्रीय महासचिव, उत्तराखंड, बिहार व मध्य प्रदेश के कोऑर्डिनेटर
अशोक सिद्धार्थ – उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश का प्रभार वापस, दक्षिण भारत के तीन राज्यों का काम देखेंगे
गौरी प्रसाद उपासक- आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के साथ महाराष्ट्र के सीनियर कोऑर्डिनेटर
प्रमोद रैना- उपासक के साथ जूनियर कोऑर्डिनेटर रहकर तीनों राज्यों में काम करेंगे
लालजी वर्मा- छत्तीसगढ़ के स्टेट कोऑर्डिनेटर बनाएं गए हैं।