मेट्रो मैन श्रीधरन ने भाजपा छोड़ राजनीति से लिया संन्यास, कहा मैं कुछ समय के लिए बना रह नौकरशाही राजनेता

मेट्रो मैन श्रीधरन

आरयू वेब टीम। मेट्रो मैन के नाम से मशहूर ई श्रीधरन ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में हार ने उन्हें समझदार बना दिया है। 90 साल के श्रीधरन ने ये जानकारी गुरुवार को मलप्पुरम जिले के अपने पैतृक शहर पोन्नानी में पत्रकारों से बात करते हुए दी, हालांकि सक्रिय राजनीति से उनके संन्यास की घोषणा से भाजपा की राज्य इकाई नाखुश है।

आज मीडिया से बातचीत में मेट्रो मैन ने कहा, “विधानसभा चुनाव में हार ने मुझे समझदार बना दिया। जब मैं हार गया तो इसने मुझे दुखी किया, लेकिन अब मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं जीत भी जाता तो कुछ नहीं किया जा सकता था। मैं कभी राजनेता नहीं था, मैं कुछ समय के लिए नौकरशाही राजनेता बना रहा।” उन्होंने कहा कि राजनीति में उनका प्रवेश देर से हुआ और इससे बाहर निकलने में भी इतनी देर नहीं हुई।

“मैं अब 90 वर्ष का हूं और एक नौजवान की तरह इधर-उधर नहीं भाग सकता। मैं तीन अलग-अलग ट्रस्टों से जुड़ा हूं और अब मैं अपना बाकी समय उनके साथ बिताऊंगा।” श्रीधरन ने कहा कि जब वह मार्च 2021 में भाजपा में शामिल हुए तो पार्टी के लिए पर्याप्त संभावनाएं थीं, लेकिन अब स्थिति अलग है।

उन्होंने कहा, ‘पार्टी को राज्य में पैर जमाने के लिए काफी कुछ करना होगा। चुनावी हार के बाद मैंने पार्टी अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया था। मैं अभी उन चीजों पर चर्चा नहीं करना चाहता।”

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मेट्रो मैन ने आगे कहा, “राजनीति में मेरा छोटा कार्यकाल रहा। मैं न तो घृणा से राजनीति छोड़ रहा हूं और न ही संघर्ष कर रहा हूं। आप देर से प्रवेश और जल्दी निकास कह सकते हैं। मैं आगे की जिंदगी भी लोगों की सेवा अपने तीन ट्रस्टों के माध्यम से करूंगा, जिनसे मैं जुड़ा हूं।”

बता दें कि विधानसभा चुनाव में मेट्रो मैन ई श्रीधरन भाजपा के लिए मुख्यमंत्री कैंडिटेंट के तौर पर उतरे थे, लेकिन भाजपा ने नेमोम में अकेली सीट भी गंवा दी थी। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व ने श्रीधरन से हार की रिपोर्ट मांगी थी। श्रीधरन पलक्कड़ सीट में विधानसभा चुनाव हार गए थे। त्रिकोणीय मुकाबले में वह मौजूदा कांग्रेस विधायक शफी परमभील से 3000 से अधिक मतों से हार गए।

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