नए संसद भवन की नींव रख PM मोदी ने कहा, संविधान हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ व इसकी अखंडता सबसे पहले

नए संसद भवन
नए संसद भवन के लिए भूमि पूजन करते प्रधानमंत्री।

आरयू वेब टीम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को आधुनिक सुख सुविधाएओं वाले नए संसद भवन की नींव रखी। भूमि पूजन व सर्वधर्म प्रार्थना के बाद प्रधानमंत्री ने संबोधन में कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है और मील का पत्थर साबित होगा। मोदी ने कहा कि देश में अब भारतीयता के विचारों के साथ नई संसद बनने जा रही है, हम देशवासी मिलकर संसद के नए भवन को बनाएंगे। जब भारत अपनी आजादी के 75वें साल का जश्‍न मनाएगा, तब संसद की इमारत उसकी प्रेरणा होगी।

मोदी ने कहा कि अगर हम अपने लोकतंत्र का गुणगान करेंगे तो वो दिन दूर नहीं जब दुनिया कहेगी ‘इंडिया इज मदर ऑफ डेमोक्रेसी’। हम भारत के लोग ये प्रण करें कि हमारे लिए देश की चिंता अपनी चिंता होगी, देश का संविधान हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ होगा, देश की अखंडता सबसे पहले होगी। इस दौरान पीएम ने देशवासियों से अपील करते हुए कहा कि हर कोई अपने मन में 2047 के लिए संकल्प ले, जब देश की आजादी के सौ साल पूरे होंगे तब हम कैसा देश देखना चाहते हैं।

मोदी ने आगे कहा कि मैं वो पल कभी नहीं भूल सकता, जब पहली बार 2014 में पहली बार मैं संसद भवन में आया था तब मैंने सिर झुकाकर नमन किया था। मौजूदा संसद भवन ने आजादी का आंदोलन, स्वतंत्र भारत, आजाद सरकार की पहली सरकार, पहली संसद, संविधान रचा गया।

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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि इस भवन में बना हर कानून, कही गई हर एक बात हमारे लोकतंत्र की धरोहर है, लेकिन हमें यथार्थ को स्वीकारना जरूरी है, पुरानी इमारत सौ साल की हो रही है। पिछले कई वक्त में जरूरतों के अनुसार इसमें बदलाव किया गया। इतना ही नहीं लोकसभा में बैठने की जगह बढ़ाने के लिए दीवारों को भी हटाया गया, अब संसद का भवन विश्राम मांग रहा है। 21वें सदी के भारत को नया संसद भवन मिलना जरूरी है। नए संसद भवन में काफी सुविधाएं होंगी, सांसदों को आसानी होगी। मोदी ने बताया कि अगर सांसदों के क्षेत्र से लोग आते हैं, तो पुराने संसद भवन में उसके लिए जगह नहीं है, लेकिन नए संसद भवन में इसके लिए स्थान होगा।

इसके अलावा मोदी ने कहा कि 1897 में स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि 50 साल भारत माता की सेवा ही सर्वोपरि हो। अब जब संसद के नए भवन का शिलान्यास हो रहा है, तो देश को एक नया संकल्प लेना होगा। स्वामी के उस संकल्प को याद करते हुए हमें संकल्प लेना है कि भारत सर्वोपरि का, हमारा हर निर्णय देशहित में सोचा जाए, हमारा हर फैसला देश के बारे में हो।

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