#CAA: सार्वजनिक स्‍थानों से आरोपितों के पोस्‍टर हटाने के आदेश को योगी सरकार ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

सुप्रीम कोर्ट से झटका

आरयू वेब टीम। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में तोड़फोड व अन्‍य मामले के आरोपितों के पोस्‍टर हटाने के मामले में बुधवार को योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने सर्वाजनिक स्‍थानों से होर्डिंग-पोस्‍टर हटाने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाई कोर्ट का आदेश आने के बाद से ही योगी सरकार के इस कदम को लेकर कयास लगाएं जा रहे थे।

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यूपी के अटॉर्नी जनरल राघवेंद्र सिंह ने मीडिया को बताया कि मामले में गुरुवार को जस्टिस यू यू ललित और अनिरुद्ध बोस की अवकाश पीठ सुनवाई करेगी। यहां बताते चलें कि यह पहला मौका है जब सुप्रीम कोर्ट में एक साप्‍ताह की होली की छुट्टियों के दौरान अवकाश कालीन पीठ अर्जेंट (तत्काल) मामलों की सुनवाई के लिए बैठ रही है। इससे पहले अवकाश कालीन पीठ सिर्फ गर्मी की छुट्टियों के दौरान ही बैठती थी।

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उल्‍लेखनीय है कि बीते नौ मार्च को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने योगी सरकार को झटका देते हुए लखनऊ में सड़कों पर लगाएं गए आरोपितों नाम, पते व फोटो वाले पोस्टर को तत्काल हटाने का आदेश दिया था।

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हाई कोर्ट ने लखनऊ पुलिस प्रशासन की कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए लोगों की निजता में “अनुचित हस्तक्षेप” बताया था। साथ ही जिला मजिस्ट्रेट और लखनऊ पुलिस आयुक्‍त को 16 मार्च को या उससे पहले अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था।

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गौरतलब है कि लखनऊ प्रशासन व पुलिस ने सीएए प्रदर्शन के दौरान हिंसा के 57 आरोपितों के करीब सौ होर्डिंग्‍स हजरतगंज समेत पुराने लखनऊ के कई चौराहों व आसपास लगवाकर जुर्माना भरने और नहीं भरने की दशा में कुर्की की चेतावनी दी थी।

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इन पोस्‍टरों में मुस्लिम धर्म गुरु, पूर्व आइपीएस अफसर, कांग्रेस की नेता व अन्‍य की तस्‍वीरें होने के चलते विपक्षी दलों ने इसे बदले की कार्रवाई बताते हुए अनुचित और निजता का उल्‍लघंन के साथ मान-सम्‍मान को क्षति पहुंचाने वाला बताया था। जिसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट मामले का स्‍वत: संज्ञान लेते हुए इन होर्डिंग व पोस्‍टर को हटाने का कड़ाई से आदेश दिया था।

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