आरयू ब्यूरो, लखनऊ। विधानसभा चुनाव से पहले सियासी जोड़-तोड़ जारी है। इस बीच बहुजन समाज पार्टी ने देश की राजधानी दिल्ली में 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप पीड़िता की वकील सीमा कुशवाहा को अपने पाले में खींच लिया है। राजधानी लखनऊ में बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने सीमा कुशवाहा को पार्टी की सदस्यता दिलाई। इसे बसपा का बड़ा कदम बताया जा रहा है, क्योंकि पिछले काफी समय से सीमा कुशवाहा देशभर की लड़कियों की रोल मॉडल बनी हुई हैं।
इस दौरान पार्टी के कई बड़े नेता भी मौजूद रहे। बसपा में शामिल होने के बाद सीमा कुशवाहा ने कहा कि बहुजन समाज में जन्में सभी संत-महापुरुषों और मायावती के विचारों एवं नीतियों से प्रेरित होकर बसपा की सदस्यता ग्रहण की है। मायावती प्रेरणा स्रोत है, जैसे मायावती ने अपने जीवन में बड़े संघर्ष करते हुए दलितों शोषित वंचित व पिछड़े वर्गों के साथ-साथ सभी वर्गों की आवाज बन कर उठी है और उत्तर प्रदेश में चार बार मुख्यमंत्री बनकर यूपी के विकास कल्याण व सभी वर्गों के उत्थान के लिए काम किया है, वह बहुत ही सराहनीय है।
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बहन जी के यही सब कामों ने हमें प्रेरणा दी और आज मैं बहुजन समाज पार्टी से जुड़ी हूं। उन्होंने कहा कि मायावती जब सत्ता में होती है तो कानून-व्यवस्था बहुत ही अच्छी हो जाती है और इस दौरान अपराधिक घटनाओं में भी कमी आती है। हम मायावती को मुख्यमंत्री बनाएंगे, जिससे प्रदेश में पुनः शांति कायम हो अपराध पर लगाम लगे और प्रदेश की सभी बहन बेटियां सुरक्षित महसूस करें।
वहीं सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष, मायावती की नीतियों एवं विचारों से प्रेरित होकर देश की प्रख्यात वकील एवं निर्भया केस को बहादुरी से लड़ने वाली सीमा कुशवाहा ने बसपा की सदस्यता ली और बहन जी को पांचवी बार मुख्यमंत्री बनाने का संकल्प लिया।
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यही नहीं, निर्भया गैंगरेप पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाने वाली सीमा सुप्रीम कोर्ट में वकालत करती हैं और इस वक्त आधा दर्जन ज्यादा दुष्कर्म पीड़िताओं को न्याय दिलाने के लिए संघर्षरत है। इसमें हाथरस गैंगरेप का मामला भी शामिल है। माना जा रहा है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव लड़ सकती हैं।
बता दें कि यूपी के इटावा के एक छोटे से गांव में अभावों के बीच पली-बढ़ीं सीमा कुशवाहा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की है। वहीं, जब 12 दिसंबर 2012 को निर्भया के साथ दिल्ली में गैंगरेप की वीभत्स घटना हुई थी, तब वह दिल्ली हाई कोर्ट में प्रशिक्षण ले रही थीं। इस दौरान वह कई बार इस घटना के विरोध में हुए प्रदर्शनों में शामिल हुई थीं।
इसके बाद उन्होंने निर्भया के गुनहगारों को सजा दिलवाने का संकल्प लेते हुए केस अपने हाथ में लिया था। यह, सीमा के करियर का पहला केस था। करीब सात साल तीन महीने से ज्यादा समय तक चली इस कानूनी लड़ाई में सीमा ने निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक निर्भया के दोषियों को फांसी के तख्ते तक पहुंचाने के लिए लगातार लड़ती रहीं और अंत में उनको जीत मिली।