आरयू ब्यूरो, लखनऊ/पीलीभीत। बयानों के कारण अक्सर चर्चा में रहने वाले पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी एक बार फिर चर्चा में हैं। शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र पीलीभीत पहुंचे सांसद वरुण गांधी ने स्प्रिंगडेल कॉलेज में आयोजित युवा उत्सव कार्यक्रम का उद्घाटन किया। कार्यक्रम के दौरान वरुण गांधी ने युवाओं को आगे बढ़ने के कुछ मंत्र भी दिया। इस दौरान वरुण गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जमकर तारीफ की। साथ ही कहा कि वे मेरे परनाना थे, उन्होंने अपने आलोचक को स्पीकर तक बना दिया था।
पीलीभीत में वरुण गांधी ने कहा कि पंडित नहेरू के नाम से आप की संस्था है। पंडित नहेरू मेरे पर नाना है, 1947 में जब पहली बार लोकसभा का गठन हुआ तो बाबू मावलंकर लोकसभा के अध्यक्ष बनाए गए। मावलंकर कुछ समय के बाद उनका स्वर्गवास हो गया। फिर पंडित नेहरू ने तय किया कि सरदार हुकुम सिंह को लोकसभा का अध्यक्ष बनाएंगे। ये फैसला सुनकर सरदार हुकुम सिंह चौक गए। वह पंडित नेहरू के पास गए और उनसे बोला कि छह महीने पहले मैंने जमकर आप का विरोध किया इसी लोकसभा में आपके आलोचना की आपको चीटर तक कहा, लेकिन आप मुझे लोकसभा अध्यक्ष बनाना चाहते हैं।
पंडित नेहरू की तारीफ करते हुए वरुण गांधी ने कहा कि नेहरू ने सरदार हुकुम सिंह को जवाब देते हुए कहा कि देश में हर तरफ नेहरू के चर्चे हैं। ऐसे में देश के बड़े पदों पर ऐसे लोगों को भी होना चाहिए, जो नेहरू की आलोचना करने में सक्षम हो।
…बड़ा आदमी कौन
वहीं इस कार्यक्रम के दौरान सांसद वरुण गांधी ने अपनी अटल बिहारी वाजपेयी के साथ पहली मुलाकात का वाकया भी साझा किया। उन्होंने कहा कि जब मैं पहली बार अटल जी से मिलने गया तो उन्होंने मुझसे पूछा कि आखिर आपकी नजरों में बड़ा आदमी कौन है। वरुण गांधी ने कहा कि मैंने अटल जी को जवाब दिया कि बड़ा आदमी वो है, जिसके साथ कोई भी खुद को छोटा ना समझे।
शासक नहीं सेवक हूं
वरुण गांधी ने खुद को एक ईमानदार सांसद बताया। उन्होंने कहा, ”मैंने और मेरी मां ने पीलीभीत में कई साल तक जनता की सेवा की है। मैं और मेरी मां यहां से कई बार सांसद रहे हैं। यहां का कोई भी व्यक्ति हम पर एक भी रुपए का भ्रष्टाचार करने या किसी को परेशान करने का आरोप नहीं लगा सकता।” उन्होंने कहा, ”जब मैं पहली बार सांसद चुना गया, तो मैंने अपनी मां मेनका गांधी से कहा कि मैं शपथ लेने जा रहा हूं। उससे पहले आप मुझे कोई ऐसा मंत्र दीजिए, जो मैं जिंदगी भर याद रखूं। तब मुझे मेरी मां ने बताया कि खुद को कभी लीडर नहीं समझना, क्योंकि लीडर बनने में कई दशक लग जाते हैं। मुझे जनता का सेवक बनने की सलाह मां ने दी। ऐसे में मैं पब्लिक सर्वेंट हूं, शासक नहीं।”
देश में ही इस टैलेंट को निखारने के लिए…
वरुण ने यह भी कहा, ”जब मैं नासा की संस्था में घूमने के लिए गया था, तो वहां सब लोग हिंदी और तमिल में बात कर रहे थे। क्योंकि वहां अधिकतर वैज्ञानिक भारतीय मूल के ही थे।” उन्होंने कहा, ”ऐसे में भारत का बच्चा कैसे देश का नाम रोशन कर सकता है। यह हर कोई जानता है। बशर्ते देश में ही इस टैलेंट को निखारने के लिए संस्थान बढ़ाने होंगे।”