वरुण गांधी ने पत्र लिख उठाया मोदी सरकार की नीति पर सवाल, “दुर्लभ बीमारी के किसी मरीज को नहीं मिला योजना का लाभ, दस बच्चों की जा चुकी जान”

दुर्लभ रोगों से ग्रस्त
फाइल फोटो।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। भाजपा सांसद वरुण गांधी ने आज को एक बार फिर अपनी सरकार को निशाने पर लिया है। भाजपा सांसद ने कहा कि दुर्लभ रोगों से ग्रस्त किसी भी मरीजों को अबतक 50 लाख रुपये की सहायता से संबंधित स्वास्थ्य मंत्रालय की योजना के तहत लाभ नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि इस कारण 432 मरीजों की जान खतरे में है और उनमें से ज्यादातर छह साल से कम उम्र के बच्चे हैं।

वरुण गांधी ने शनिवार को अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से एक लेटर ट्वीट कर कहा कि इलाज के इंतजार में दस बच्चों की जान चली गयी है। वरुण गांधी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से भुगतान को मंजूरी देने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील भी की। मांडविया को भेजे पत्र में वरुण गांधी ने कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने दुर्लभ रोगों से ग्रसित मरीजों की जान बचाने के लिए 30 मार्च, 2021 को राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति, 2021’ की शुरुआत की थी।

उन्होंने कहा कि मई, 2022 में उसमें किये गये संशोधन के अनुसार दुर्लभ रोगों के मरीजों के सभी समूहों को इलाज के लिए 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने का आश्वासन दिया गया था। वरुण ने पत्र में लिखा है कि घोषणा के कई महीने बाद भी एक भी मरीज इस योजना का लाभ नहीं ले पाया है, जिससे 432 मरीजों, खासकर छह साल से कम उम्र के रोगियों की जान खतरे में पड़ गयी है।’’ उनमें ज्यादातर बच्चे गौचर (प्लीहा और यकृत में कुछ खास वसीय पदार्थ का जमा होना), पोम्प (हृदय एवं कंकाल मांसपेशियों का बहुत कमजोर हो जाना), एमपीएस- वन (बच्चों की कोशिकाओं में शर्करा की असामान्य मात्रा) और एमपीएस-टू और फैब्री (इंजाइमों में त्रुटि) जैसे लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर’ से ग्रस्त हैं।

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साथ ही वरुण ने सवाल उठाते हुए कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय अंशदान मंच के अनुसार लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर के करीब 208 मरीजों का तत्काल उपचार किया जा सकता है, क्योंकि इनमें से अधिकतर रोगों के लिए भारतीय औषधि महानियंत्रक द्वारा मंजूर उपचार भारत में कई सालों से उपलब्ध है। इस नीति के तहत स्थापित दस सेंटर्स ऑफ एक्सेलेंस (सीओई) ने मंत्रालय से कई बार स्मरण पत्र भेजे जाने के बाद भी दुर्लभ बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए अभी तक वित्तीय सहायता की मांग नहीं की है।

उन्होंने कहा कि दुर्लभ रोगों के मरीजों के लिए काम कर रहे संगठनों के अनुसार आधे से अधिक सीओई ने स्वास्थ्य मंत्रालय को एक भी उपचार अनुरोध नहीं भेजा है। वरुण गांधी ने आगे कहा कि दस से अधिक बच्चे इलाज की बाट जोहते हुए अपनी जान गंवा चुके हैं, इसलिए मैं अनुरोध करता हूं कि सीओई में इन 208 बच्चों का तत्काल उपचार शुरू किया जाए।

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