विपक्ष का अमित शाह पर हमला, राहुल ने कहा, गृह मंत्री को नहीं मालूम इतिहास

अमित शाह पर हमला

आरयू वेब टीम। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कश्मीर के मुद्दे पर संसद में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर निशाना साधा था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि कश्मीर मुद्दे से निपटने में जवाहरलाल नेहरू की गलती थी। अपने इस बयान के बाद अमित शाह विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी व जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने अमित शाह पर हमला बोलते हुए इतिहास नहीं मालूम होने का आरोप लगाया।

मीडिया से बातचीत में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, “पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारत के लिए अपनी जिंदगी दे दी, सालों जेल में रहें। गृह मंत्री अमित शाह को शायद इतिहास नहीं मालूम… ये बात केवल भ्रमित करने के लिए की गई है। मूल मुद्दा जातीय जनगणना, भागीदारी और देश का धन किसके हाथों में जा रहा है, ये है। इस मुद्दें पर ये लोग चर्चा नहीं करना चाहते हैं, इससे डरते हैं, भागते हैं। हम इस मुद्दे को आगे लेकर जाएंगे और गरीब लोगों को उनका हक हम दिलाएंगे।”

…अमित शाह जितने जानकार नहीं थे

वहीं सांसद अधीर रंजन चौधरी ने तंज कसते हुए कहा कि नेहरू अमित शाह की तरह ज्ञानी नहीं थे। संसद के शीतकालीन सत्र में भाग लेने पहुंचे कांग्रेस नेता ने अमित शाह से पीओके को लेकर सवाल किया। अधीर रंजन ने कहा, “शायद पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू गृह मंत्री अमित शाह जितने जानकार नहीं थे। मैं अमित शाह से पूछना चाहता हूं, चूंकि आप जो भी करते हैं वह सही है तो आप पीओके कब वापस ले रहे हैं?”

पीओके को कब वापस लाओगे

इस बीच मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा कि अमित शाह जी को गौर से अध्ययन करना जरूरी है। उस स्थिति में युद्ध विराम जरूरी था। ये हमारी फौज का फैसला था। हो सकता है कि अमित शाह के जैसे उतना ज्ञानी जवाहरलाल नेहरू ना हों। उन्होंने कहा कि मुझे अमित शाह जी से बस यही कहना है कि सब गलती किये हैं। आप तो सही कर रहे हैं। तो मेरा सवाल है कि पीओके को कब वापस लाओगे? उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द चुनाव की घोषणा करनी चाहिए और उसका पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना चाहिए।

नेहरू जी के खिलाफ इतना जहर क्यों

वहीं फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “पता नहीं इन लोगों में नेहरू जी के खिलाफ इतना जहर क्यों है। जब ये आर्टिकल(370) आया था, उस वक्त यहां सरदार पटेल थे, जवाहर लाल नेहरू अमेरिका में थे और जो कैबिनेट की बैठक हुई थी उसमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी थे। उस समय इसका फैसला हुआ था… हम चाहते हैं कि चुनाव हो।”

गौरतलब है कि अमित शाह ने सोमवार को कहा था कि आतंकवाद से मुक्त नए और विकसित कश्मीर के निर्माण की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हुई है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सही समय पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।

गृह मंत्री ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा, “वह अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर बदलाव नहीं देख पा रहा है, जबकि पूरा देश समझ गया है कि कश्मीर मुद्दे से निपटने में पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की गलती थी। शाह ने यह भी कहा कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है और कोई भी इसे छीन नहीं सकता।