आरयू वेब टीम। नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के विरोध में पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसा और प्रदर्शनों के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने पहली बार नागरिकता कानून में कुछ बदलाव के संकेत दिए हैं। एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस कानून को लेकर नॉर्थ ईस्ट के लोगों में कुछ संदेह है और इसको लेकर मेघालय के मुख्यमंत्री ने मुझसे मुलाकात की। मैंने उन्हें भरोसा दिलाया है कि क्रिसमस के बाद इसका कोई ना कोई हल जरूर निकाल लिया जाएगा। उन्हें इस कानून को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है।
अमित शाह ने झारखंड चुनाव के दौरान गिरिडीह और देवघर विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी जनसभाओं में पूर्वोत्तर के लोगों को आश्वासन दिया कि इस अधिनियम से उनकी संस्कृति, भाषा, सामाजिक पहचान और राजनीतिक अधिकार प्रभावित नहीं होंगे।
यह भी पढ़ें- आखिरकार राज्यसभा में भी पास हुआ नागरिकता संशोधन बिल
गृह मंत्री ने कहा, ”मैं असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि उनकी संस्कृति, सामाजिक पहचान, भाषा, राजनीतिक अधिकारों को नहीं छुआ जाएगा तथा मोदी सरकार उनकी रक्षा करेगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मेघालय की कोई समस्या होगी तो उसका सकारात्मक रूप से समाधान निकालेंगे। किसी को डरने की जरूरत नहीं है।
यह भी पढ़ें- नागरिकता संशोधन बिल की प्रतियां जलाकर बोले अजय लल्लू, नहीं चलेगा संघी विधान, सदन से सड़क तक लड़ेगी कांग्रेस
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून पर पूर्वोत्तर में जारी हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बीच बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। पूर्वोत्तर में बीजेपी की प्रमुख सहयोगियों में से एक असम गण परिषद ने पहले कानून का समर्थन किया था, लेकिन अब इसके विरोध का ऐलान किया है। असम गण परिषद ने वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक के बाद यह फैसला लिया है।
यह भी पढ़ें- संसदीय दल की बैठक में मोदी का विपक्ष पर हमला, नागरिकता संशोधन विधेयक पर कुछ दल बोल रहें पाक की भाषा
वहीं असम गण परिषद ने यह भी कहा है कि वो नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी। इस मुद्दे पर असम गण परिषद का एक दल प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से भी मिलेगा। मालूम हो कि एजीपी बीजेपी की अगुवाई वाली असम सरकार का भी हिस्सा है और राज्य की कैबिनेट में उसके तीन मंत्री भी हैं।